नीलकुरिंजी एक दुर्लभ फूल है, जो पश्चिमी घाट के शोला घास के मैदानों में पाया जाता है। नीलकुरिंजी का वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना है। यह फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है। यह फूल आखिरी बार 2018 में खिला था और अब यह 2030 में खिलेगा।
नीलकुरिंजी फूल का रंग नीला होता है और यह शंकु के आकार का होता है। यह फूल 30 से 60 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। नीलकुरिंजी फूल की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में पाई जाती हैं।
नीलकुरिंजी फूल का खिलना एक दुर्लभ घटना है। यह फूल केवल पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, जिनमें केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। इन क्षेत्रों में, नीलकुरिंजी फूल पहाड़ियों को नीला रंग देता है, जो एक सुंदर दृश्य बनाता है।
नीलकुरिंजी फूल का खिलना एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय घटना है। यह फूल कई जानवरों और कीड़ों के लिए भोजन का स्रोत है। यह फूल मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
नीलकुरिंजी फूल को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने इस फूल को एक संरक्षित प्रजाति घोषित किया है। कई संगठन इस फूल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
नीलकुरिंजी फूल के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
👉नीलकुरिंजी फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है।
* 👉यह फूल केवल पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
* 👉नीलकुरिंजी फूल का रंग नीला होता है और यह शंकु के आकार का होता है।
* 👉यह फूल 30 से 60 सेंटीमीटर तक लंबा होता है।
* 👉नीलकुरिंजी फूल की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में पाई जाती हैं।
* 👉नीलकुरिंजी फूल कई जानवरों और कीड़ों के लिए भोजन का स्रोत है।
* 👉यह फूल मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
नीलकुरिंजी फूल अपने सौंदर्य और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
* 👉पारंपरिक औषधीय उपयोग:
* 👉नीलकुरिंजी के फूलों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में सूजन और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।
* 👉यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद कर सकता है।
* 👉नीलकुरिंजी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं।
* 👉शहद उत्पादन:
* 👉नीलकुरिंजी के फूलों से प्राप्त शहद को 'कुरिंजी थन' कहा जाता है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
* 👉सांस्कृतिक महत्व:
* 👉केरल की वन जनजातियों के लिए, यह फूल प्यार का प्रतीक है।
* 👉तमिलनाडु की 'पालियाँ' जनजाति द्वारा उम्र की गणना के लिये नीलकुरिंजी के फूलों का उपयोग किया जाता है।
* 👉पर्यटन:
* जब नीलकुरिंजी फूल खिलते हैं, तो यह एक दर्शनीय स्थल बन जाता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
* नीलगिरी पर्वत का नाम भी इसी फूल के कारण पड़ा है।
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