सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

गांव की 🪔🎇 दिवाली

मैं एक मध्यम परिवार से हूं। शुरुआती जीवन ग्रामीण और संयुक्त परिवार में हुआ था। ग्रामीण माहौल ग्रामीण मौसम के साथ पल बढ़ कर आज शहरी जीवन व्यतीत कर रहा हूं।आज भी वो समय याद करके मन प्रफुल्लित हो जाता है।कितना अच्छा शुकून भरी शांति पूर्ण जिन्दगी थी।
दादा,दादी, चाची चाचा, फुआ, नाना,नानी , मौशी के बीच रहकर गुजरी जिंदगी।
दुर्गा पूजा के बाद दिवाली की आगाज
जब मैं बच्चा था और दिवाली का समय दुर्गा पूजा के बाद ही आ जाता था। उस समय तारीख से नहीं कैलेंडर से नहीं दुर्गापूजा के पंद्रह दिन बाद दिवाली और छह दिन बाद छठ पूजा होता था। और ये अनुमान बिलकुल सटीक था। बचपन का अनुमान।
दुर्गा पूजा जब होता उसके बाद गांव घर में उस समय ज्यादातर लोग कच्चे मकान में रहते थे या सभी घर में लगभग कच्चे मिट्टी से लेप लगाने लायक जगह तो होता ही था।किसी का दिवाल कच्ची है तो किसी का आंगन तो किसी का द्वार या दरवाज़ा।जिसकी जितनी हैसियत वो उस हिसाब से घर द्वार रंग पुताई करवाता था।
दिवाली की तैयारी
सबसे मजेदार बात आज भी गजब का एहसास देती हैं कि हम उस समय तकरीबन आठ या दस वर्ष के होंगे। गांव से दूर एक तालाब हुआ करती थीं उसके बांध के पास जाके मिट्टी की खुदाई करके बोरा,झोला,daliya, बाल्टी, टोकरी वगैरह में भरकर घर के आगे लाकर जमा किया जाता था।मिट्टी पीला या लाल होता था।मिट्टी खोदना भरना सर पर उठाकर लाना।ये काम जोरो से लगभग सभी ग्रामीण घरों में होती थी। छोटे छोटे बच्चे लड़कियां औरत मर्द सभी मिल कर मिट्टी ढुलाई का काम करते थे।पूरा माहौल मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू से सराबोर हो जाता था।हंसी मजाक भी होती थीं। कई घरों के बच्चे लड़कियां एक साथ जाती थी।घर में निपाई पुताई साफ सफाई मुख्य रूप से घर की औरते करती थीं। पूरे घर की साफ सफाई होती थीं। कोई घर के आंगन तो कोई घर की दीवार तो कोई दरवाज़ा की निपाई पुताई कर रही है। साड़ी पहने हुई कमर में लपेटकर आंचल बंधे हुए सर पे भी आंचल। अपने काम में व्यस्त।ये नजारा ओर तैयारी देख कर दिवाली आने वाली है ऐसा महसूस हो जाता था।
ग्रामीण परिवेश
उस समय गांव में एक कुएं हुआ करती थीं जिसके पानी से खाना अच्छा टेस्टी बनती थी पूरा गांव की महिलाओं का झुंड उस कुएं पर सुबह से शाम तक जाना आना लगा रहता था।
तालाब में sanathi जिससे हुक्का पाती खेला जाता था उसे नदी से निकालकर उसके छाल को छुड़ाया जाता था नीचे उजला हल्का sanathi दिखती थीं जिसे बांधकर बाजार में ले जाकर बेचा जाता था। दिवाली के लिए मिट्टी की दिया बनाते कुम्हार की चक्की। घरौंदा या घरकुंडा बनाते बच्चे।
दीपक ,तेल,पटाखा खरीदकर लाते घर के पुरुष। ये नजारा देख कर दिवाली आ गया पता चल जाता था।
दिवाली के दिन की तैयारी 
दिवाली आई सुबह से घर के सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त।शाम हुई मिट्टी की कूपी में बत्ती लगाके मिट्टी तेल भरती घर की बुजुर्ग महिला।पूजा पाठ की तैयारी करते पुरुष।घर को सजाते बच्चे लड़कियां औरत मर्द सभी।
घरकुंडा या घरौंदा में मिट्टी के बर्तन में लावा/ मुड़ी/खिलौना/रख कर दिया जलाने की पारंपरिक तरीका है।
उसके बाद इसी दिन लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति पूजा भी की जाती हैं।
दिवाली की शाम और रात की तैयारी 
शाम हुई सभी छत पर एक दूसरे को देखते कौन पहले छत पर दिया जलाता है।फिर धीरे धीरे सभी छत पर दिए जगमगाने लगे। पटाखा छुटने लगे। नए नए कपड़े पहन कर दिवाली मनाते सभी लोग।
फिर थोड़ी रात हुए सभी हुक्का पाती खेलने के लिए एक दूसरे घर के लोगों से बोलते ।सभी मिलकर हुक्का पाती अपने अपने घर से निकालते हुए।एक जगह एकत्रित हुए एक दूसरे को बधाई दी।फिर सभी एक दूसरे के घर आना जाना शुरू आशीर्वाद लेने बड़े बुजुर्ग से। आशीर्वाद के रूप में मिठाई खिलौना जो चीनी का बना होता है उसे खाने का प्रचलन है। मुख्य रूप से।
फिर चावल दाल कचरी दहीबड़ा तरह तरह के पकवान खाते हैं सभी।
हम जाकर देखते है कि मेरे छत पर दीपक ज्यादा देर तक चले जले।
ऐसे होती हैं गांव की दिवाली।आप सभी को आने वाली दिवाली की हार्दिक बधाई।
Disclaimer - उपरोक्त ब्लॉग कंटेंट मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। रीति रिवाज तौर तरीके में अंतर हो सकता हैं। किसी भी लिखावट में हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं,,

गुरुवार, 4 सितंबर 2025

दर्द कम चिंता ज्यादा:- मध्यम वर्ग की जिंदगी

मध्यम वर्ग की ज़िंदगी : दर्द कम, चिंता ज्यादा

🌞 सुबह की शुरुआत

सुबह के 10 बजे से पहले रोज़ की तरह मैं स्कूटी से ऑफिस जा रहा था।
धूप तेज थी, हेलमेट में पसीना बह रहा था।

लेकिन सबसे ज्यादा गर्मी मेरे दिमाग में थी—
👉 घर की जिम्मेदारी
👉 लोन का बोझ
👉 बच्चों की पढ़ाई
👉 आने वाले त्योहारों का खर्च

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है, जब गाड़ी आप चला रहे हों…
लेकिन दिमाग कहीं और दौड़ रहा हो?


---

🛵 गिरना और संभलना

आधा रास्ता तय हो चुका था।
सामने एक मोटरसाइकिल वाला बार-बार गाड़ी रोक रहा था।
शायद नया-नया सीखा था।

मैंने सोचा जल्दी निकल जाऊँ।
लेकिन रोड पर पड़े कंकड़ ने धोखा दे दिया।
टायर फिसला और मैं धीरे-धीरे सड़क पर गिर पड़ा।

हाथ, कलाई और घुटनों से खून बहने लगा।
दर्द तो था…
लेकिन उससे भी ज्यादा चुभा ये—
कि सामने वाला इंसान मुझे उठाने तक नहीं उतरा।
बस देखता रहा।


---

🩹 खून से ज्यादा चिंता पैसों की

मैं खुद उठा, गाड़ी संभाली और घर की ओर बढ़ गया।
खून बह रहा था, लेकिन रास्ते भर मन में एक ही सवाल गूंज रहा था—

“हे भगवान, अब ये खर्च कैसे पूरा होगा?”

👉 सैलरी अभी मिली नहीं।
👉 बच्चों की स्कूल फीस देनी है।
👉 लोन की किस्त भरनी है।
👉 त्योहार सामने हैं—कपड़े, मिठाई, घर का खर्च।

और अब ऊपर से नया खर्च—इलाज, दवाई, गाड़ी की मरम्मत।


---

🏠 घर लौटने के बाद

घर पहुँचा तो पत्नी से कहा—
“थोड़ा-बहुत चोट है, चिंता मत करो।”

फिर खुद ही फर्स्ट-एड किया, इंजेक्शन लिया, दवाई ली।
लेकिन दिमाग में जोड़-घटाव चलता रहा—
“कहाँ से लाऊँगा इतने पैसे?”


---

🤕 दर्द से ज्यादा जिम्मेदारी

रात को लेटा तो दर्द से कराह रहा था।
लेकिन फिर भी सोच रहा था—
अगर ऑफिस से छुट्टी ली तो सैलरी कट जाएगी।
फिर घर का खर्च कैसे चलेगा?

यही है मध्यम वर्ग की जिंदगी…
👉 जहाँ घाव से टपकते खून से ज्यादा चिंता जेब से टपकते पैसों की होती है।
👉 जहाँ जिम्मेदारियाँ इतनी बड़ी होती हैं कि दर्द भी छोटा लगने लगता है।


---

🙏 यही तो है जिंदगी

जिंदगी है तो संघर्ष है।
और संघर्ष है तो यही है मध्यम वर्ग की कहानी—

“दर्द छुपाकर भी हंसना, और टूटी हालत में भी घर का पहिया घुमाते रहना।”

शुक्रवार, 27 जून 2025

भारत का सबसे बड़ा परीक्षा परिसर

                  
                       परिचय और इतिहास 
digram of bapu pariksha parisar patna 
‘बापू परीक्षा परिसर’ (Bapu Pariksha Parisar) का उद्घाटन 23 अगस्त 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। इसे भारत का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र बताया गया, जिसका नाम महात्मा गांधी जी के सम्मान में रखा गया।
निर्माण लागत और क्षेत्रफल

निर्माण लागत: लगभग ₹261–281.11 करोड़ (सूत्रों के आधार पर भिन्नता) 

आवृत्तीय क्षेत्र: लगभग 6 एकड़ (करीब 24,000 वर्ग मीटर) 

निर्माण काल: कार्य 2019 में शुरू हुआ और 2023 में पूरा होने के बाद उद्घाटित हुआ ।
🏢 भवन संरचना और क्षमता

ब्लॉक की संख्या: वर्तमान में दो मुख्य पांच-मंजिला टावर – ब्लॉक A और B; भविष्य में तीसरा ब्लॉक C नियोजित ।

मंजिलें: प्रत्येक टावर में 5 मंजिलें ।

परीक्षा हॉल: कुल 44 बड़े हॉल; हर हॉल में लगभग 300 उम्मीदवार बैठ सकते हैं ।
क्षमता:

ऑफलाइन: ~13,200 उम्मीदवार 

ऑनलाइन: ~3,584 उम्मीदवार 

कुल मिलाकर लगभग 16,000–20,000 उम्मीदवार एक साथ परीक्षा दे सकते हैं; भविष्य में 25,000 तक विस्तार का लक्ष्य ।
प्रमुख सुविधाएं

सेंसर-आधारित लाइट नियंत्रण: लेचें विलंब से जलने और बुझने की सुविधा ।

सुरक्षा एवं निगरानी: 490 CCTV कैमरे, वेबकैस्टिंग, मोबाइल जैमर और इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्शन सिस्टम्स ।

लिफ्ट और एस्केलेटर: ब्लॉक्स में 6 लिफ्ट और 16 स्केलटर ।

पानी और स्वच्छता: पानी, व्हीलचेयर सहायता, इलेक्ट्रॉनिक जांच सुविधाएँ उपलब्ध ।

ऊर्जा प्रबंधन: सोलर पैनल, लाइट सेंसर और ऊर्जा बचत उपाय ।
परिवहन और पहुंच

स्थान: कुम्हरार, पटना – राजेंद्र नगर टर्मिनल से लगभग 3–4 किमी।
**यातायात:**

केंद्रीय बस और ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा से पहुँचना आसान।

निजी वाहन के लिए पार्किंग संभव, विशेष रूप से परीक्षा दिनों में प्रबंधित।
आसपास की सुविधाएँ

रेस्टोरेंट एवं खान-पान: कुम्हरार क्षेत्र में चाय–स्नैक्स की दुकानें, राजेन्द्रनगर/गांधी मैदान क्षेत्र में रेस्तरां।

होटल एवं आवास: समीप आवास विकल्प सीमित—बड़े परिवारों के लिए राजेन्द्रनगर क्षेत्रों में अधिक विकल्प हैं ।

पार्क एवं विश्राम स्थान: ब्लॉक A/B के बाहर गार्डेन/ओपन एयर लॉन—छोटी जलपान/आराम स्पॉर्ट के लिए उपयुक्त।

अस्पताल: नजदीकी बड़ी सुविधा पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH)।
सारांश

बापू परीक्षा परिसर आधुनिक सूट से लैस, उच्च क्षमता वाले परीक्षा केंद्र के रूप में कमाल है। इसकी मजबूत सुरक्षा, उन्नत सुविधाएँ, और बड़े पैमाने पर उम्मीदवार बैठाने की क्षमता इसे परीक्षा परिदृश्य में ख़ास बनाती है। हालांकि भीड़ और ट्रैफिक को संभालने की चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार द्वारा दूसरे चरण में सात जिला स्तर पर और परिसर बनाए जाने की योजना सुनिश्चित करती है कि सुविधाएँ बेहतर होंगी ।
डिस्क्लेमर - उपरोक्त ब्लॉग कंटेंट विभिन्न क्षेत्रों से संकलित किया गया है। थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। कोशिश किया है कि परीक्षा के दौरान आपको सुविधा हो। विशेष जानकारी के लिए क्षेत्र भ्रमण करे।






represented by qrb

गांव की 🪔🎇 दिवाली

मैं एक मध्यम परिवार से हूं। शुरुआती जीवन ग्रामीण और संयुक्त परिवार में हुआ था। ग्रामीण माहौल ग्रामीण मौसम के साथ पल बढ़ कर आज शह...