सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

गांव की 🪔🎇 दिवाली

मैं एक मध्यम परिवार से हूं। शुरुआती जीवन ग्रामीण और संयुक्त परिवार में हुआ था। ग्रामीण माहौल ग्रामीण मौसम के साथ पल बढ़ कर आज शहरी जीवन व्यतीत कर रहा हूं।आज भी वो समय याद करके मन प्रफुल्लित हो जाता है।कितना अच्छा शुकून भरी शांति पूर्ण जिन्दगी थी।
दादा,दादी, चाची चाचा, फुआ, नाना,नानी , मौशी के बीच रहकर गुजरी जिंदगी।
दुर्गा पूजा के बाद दिवाली की आगाज
जब मैं बच्चा था और दिवाली का समय दुर्गा पूजा के बाद ही आ जाता था। उस समय तारीख से नहीं कैलेंडर से नहीं दुर्गापूजा के पंद्रह दिन बाद दिवाली और छह दिन बाद छठ पूजा होता था। और ये अनुमान बिलकुल सटीक था। बचपन का अनुमान।
दुर्गा पूजा जब होता उसके बाद गांव घर में उस समय ज्यादातर लोग कच्चे मकान में रहते थे या सभी घर में लगभग कच्चे मिट्टी से लेप लगाने लायक जगह तो होता ही था।किसी का दिवाल कच्ची है तो किसी का आंगन तो किसी का द्वार या दरवाज़ा।जिसकी जितनी हैसियत वो उस हिसाब से घर द्वार रंग पुताई करवाता था।
दिवाली की तैयारी
सबसे मजेदार बात आज भी गजब का एहसास देती हैं कि हम उस समय तकरीबन आठ या दस वर्ष के होंगे। गांव से दूर एक तालाब हुआ करती थीं उसके बांध के पास जाके मिट्टी की खुदाई करके बोरा,झोला,daliya, बाल्टी, टोकरी वगैरह में भरकर घर के आगे लाकर जमा किया जाता था।मिट्टी पीला या लाल होता था।मिट्टी खोदना भरना सर पर उठाकर लाना।ये काम जोरो से लगभग सभी ग्रामीण घरों में होती थी। छोटे छोटे बच्चे लड़कियां औरत मर्द सभी मिल कर मिट्टी ढुलाई का काम करते थे।पूरा माहौल मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू से सराबोर हो जाता था।हंसी मजाक भी होती थीं। कई घरों के बच्चे लड़कियां एक साथ जाती थी।घर में निपाई पुताई साफ सफाई मुख्य रूप से घर की औरते करती थीं। पूरे घर की साफ सफाई होती थीं। कोई घर के आंगन तो कोई घर की दीवार तो कोई दरवाज़ा की निपाई पुताई कर रही है। साड़ी पहने हुई कमर में लपेटकर आंचल बंधे हुए सर पे भी आंचल। अपने काम में व्यस्त।ये नजारा ओर तैयारी देख कर दिवाली आने वाली है ऐसा महसूस हो जाता था।
ग्रामीण परिवेश
उस समय गांव में एक कुएं हुआ करती थीं जिसके पानी से खाना अच्छा टेस्टी बनती थी पूरा गांव की महिलाओं का झुंड उस कुएं पर सुबह से शाम तक जाना आना लगा रहता था।
तालाब में sanathi जिससे हुक्का पाती खेला जाता था उसे नदी से निकालकर उसके छाल को छुड़ाया जाता था नीचे उजला हल्का sanathi दिखती थीं जिसे बांधकर बाजार में ले जाकर बेचा जाता था। दिवाली के लिए मिट्टी की दिया बनाते कुम्हार की चक्की। घरौंदा या घरकुंडा बनाते बच्चे।
दीपक ,तेल,पटाखा खरीदकर लाते घर के पुरुष। ये नजारा देख कर दिवाली आ गया पता चल जाता था।
दिवाली के दिन की तैयारी 
दिवाली आई सुबह से घर के सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त।शाम हुई मिट्टी की कूपी में बत्ती लगाके मिट्टी तेल भरती घर की बुजुर्ग महिला।पूजा पाठ की तैयारी करते पुरुष।घर को सजाते बच्चे लड़कियां औरत मर्द सभी।
घरकुंडा या घरौंदा में मिट्टी के बर्तन में लावा/ मुड़ी/खिलौना/रख कर दिया जलाने की पारंपरिक तरीका है।
उसके बाद इसी दिन लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति पूजा भी की जाती हैं।
दिवाली की शाम और रात की तैयारी 
शाम हुई सभी छत पर एक दूसरे को देखते कौन पहले छत पर दिया जलाता है।फिर धीरे धीरे सभी छत पर दिए जगमगाने लगे। पटाखा छुटने लगे। नए नए कपड़े पहन कर दिवाली मनाते सभी लोग।
फिर थोड़ी रात हुए सभी हुक्का पाती खेलने के लिए एक दूसरे घर के लोगों से बोलते ।सभी मिलकर हुक्का पाती अपने अपने घर से निकालते हुए।एक जगह एकत्रित हुए एक दूसरे को बधाई दी।फिर सभी एक दूसरे के घर आना जाना शुरू आशीर्वाद लेने बड़े बुजुर्ग से। आशीर्वाद के रूप में मिठाई खिलौना जो चीनी का बना होता है उसे खाने का प्रचलन है। मुख्य रूप से।
फिर चावल दाल कचरी दहीबड़ा तरह तरह के पकवान खाते हैं सभी।
हम जाकर देखते है कि मेरे छत पर दीपक ज्यादा देर तक चले जले।
ऐसे होती हैं गांव की दिवाली।आप सभी को आने वाली दिवाली की हार्दिक बधाई।
Disclaimer - उपरोक्त ब्लॉग कंटेंट मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। रीति रिवाज तौर तरीके में अंतर हो सकता हैं। किसी भी लिखावट में हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं,,

गुरुवार, 4 सितंबर 2025

दर्द कम चिंता ज्यादा:- मध्यम वर्ग की जिंदगी

मध्यम वर्ग की ज़िंदगी : दर्द कम, चिंता ज्यादा

🌞 सुबह की शुरुआत

सुबह के 10 बजे से पहले रोज़ की तरह मैं स्कूटी से ऑफिस जा रहा था।
धूप तेज थी, हेलमेट में पसीना बह रहा था।

लेकिन सबसे ज्यादा गर्मी मेरे दिमाग में थी—
👉 घर की जिम्मेदारी
👉 लोन का बोझ
👉 बच्चों की पढ़ाई
👉 आने वाले त्योहारों का खर्च

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है, जब गाड़ी आप चला रहे हों…
लेकिन दिमाग कहीं और दौड़ रहा हो?


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🛵 गिरना और संभलना

आधा रास्ता तय हो चुका था।
सामने एक मोटरसाइकिल वाला बार-बार गाड़ी रोक रहा था।
शायद नया-नया सीखा था।

मैंने सोचा जल्दी निकल जाऊँ।
लेकिन रोड पर पड़े कंकड़ ने धोखा दे दिया।
टायर फिसला और मैं धीरे-धीरे सड़क पर गिर पड़ा।

हाथ, कलाई और घुटनों से खून बहने लगा।
दर्द तो था…
लेकिन उससे भी ज्यादा चुभा ये—
कि सामने वाला इंसान मुझे उठाने तक नहीं उतरा।
बस देखता रहा।


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🩹 खून से ज्यादा चिंता पैसों की

मैं खुद उठा, गाड़ी संभाली और घर की ओर बढ़ गया।
खून बह रहा था, लेकिन रास्ते भर मन में एक ही सवाल गूंज रहा था—

“हे भगवान, अब ये खर्च कैसे पूरा होगा?”

👉 सैलरी अभी मिली नहीं।
👉 बच्चों की स्कूल फीस देनी है।
👉 लोन की किस्त भरनी है।
👉 त्योहार सामने हैं—कपड़े, मिठाई, घर का खर्च।

और अब ऊपर से नया खर्च—इलाज, दवाई, गाड़ी की मरम्मत।


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🏠 घर लौटने के बाद

घर पहुँचा तो पत्नी से कहा—
“थोड़ा-बहुत चोट है, चिंता मत करो।”

फिर खुद ही फर्स्ट-एड किया, इंजेक्शन लिया, दवाई ली।
लेकिन दिमाग में जोड़-घटाव चलता रहा—
“कहाँ से लाऊँगा इतने पैसे?”


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🤕 दर्द से ज्यादा जिम्मेदारी

रात को लेटा तो दर्द से कराह रहा था।
लेकिन फिर भी सोच रहा था—
अगर ऑफिस से छुट्टी ली तो सैलरी कट जाएगी।
फिर घर का खर्च कैसे चलेगा?

यही है मध्यम वर्ग की जिंदगी…
👉 जहाँ घाव से टपकते खून से ज्यादा चिंता जेब से टपकते पैसों की होती है।
👉 जहाँ जिम्मेदारियाँ इतनी बड़ी होती हैं कि दर्द भी छोटा लगने लगता है।


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🙏 यही तो है जिंदगी

जिंदगी है तो संघर्ष है।
और संघर्ष है तो यही है मध्यम वर्ग की कहानी—

“दर्द छुपाकर भी हंसना, और टूटी हालत में भी घर का पहिया घुमाते रहना।”

शुक्रवार, 27 जून 2025

भारत का सबसे बड़ा परीक्षा परिसर

                  
                       परिचय और इतिहास 
digram of bapu pariksha parisar patna 
‘बापू परीक्षा परिसर’ (Bapu Pariksha Parisar) का उद्घाटन 23 अगस्त 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। इसे भारत का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र बताया गया, जिसका नाम महात्मा गांधी जी के सम्मान में रखा गया।
निर्माण लागत और क्षेत्रफल

निर्माण लागत: लगभग ₹261–281.11 करोड़ (सूत्रों के आधार पर भिन्नता) 

आवृत्तीय क्षेत्र: लगभग 6 एकड़ (करीब 24,000 वर्ग मीटर) 

निर्माण काल: कार्य 2019 में शुरू हुआ और 2023 में पूरा होने के बाद उद्घाटित हुआ ।
🏢 भवन संरचना और क्षमता

ब्लॉक की संख्या: वर्तमान में दो मुख्य पांच-मंजिला टावर – ब्लॉक A और B; भविष्य में तीसरा ब्लॉक C नियोजित ।

मंजिलें: प्रत्येक टावर में 5 मंजिलें ।

परीक्षा हॉल: कुल 44 बड़े हॉल; हर हॉल में लगभग 300 उम्मीदवार बैठ सकते हैं ।
क्षमता:

ऑफलाइन: ~13,200 उम्मीदवार 

ऑनलाइन: ~3,584 उम्मीदवार 

कुल मिलाकर लगभग 16,000–20,000 उम्मीदवार एक साथ परीक्षा दे सकते हैं; भविष्य में 25,000 तक विस्तार का लक्ष्य ।
प्रमुख सुविधाएं

सेंसर-आधारित लाइट नियंत्रण: लेचें विलंब से जलने और बुझने की सुविधा ।

सुरक्षा एवं निगरानी: 490 CCTV कैमरे, वेबकैस्टिंग, मोबाइल जैमर और इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्शन सिस्टम्स ।

लिफ्ट और एस्केलेटर: ब्लॉक्स में 6 लिफ्ट और 16 स्केलटर ।

पानी और स्वच्छता: पानी, व्हीलचेयर सहायता, इलेक्ट्रॉनिक जांच सुविधाएँ उपलब्ध ।

ऊर्जा प्रबंधन: सोलर पैनल, लाइट सेंसर और ऊर्जा बचत उपाय ।
परिवहन और पहुंच

स्थान: कुम्हरार, पटना – राजेंद्र नगर टर्मिनल से लगभग 3–4 किमी।
**यातायात:**

केंद्रीय बस और ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा से पहुँचना आसान।

निजी वाहन के लिए पार्किंग संभव, विशेष रूप से परीक्षा दिनों में प्रबंधित।
आसपास की सुविधाएँ

रेस्टोरेंट एवं खान-पान: कुम्हरार क्षेत्र में चाय–स्नैक्स की दुकानें, राजेन्द्रनगर/गांधी मैदान क्षेत्र में रेस्तरां।

होटल एवं आवास: समीप आवास विकल्प सीमित—बड़े परिवारों के लिए राजेन्द्रनगर क्षेत्रों में अधिक विकल्प हैं ।

पार्क एवं विश्राम स्थान: ब्लॉक A/B के बाहर गार्डेन/ओपन एयर लॉन—छोटी जलपान/आराम स्पॉर्ट के लिए उपयुक्त।

अस्पताल: नजदीकी बड़ी सुविधा पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH)।
सारांश

बापू परीक्षा परिसर आधुनिक सूट से लैस, उच्च क्षमता वाले परीक्षा केंद्र के रूप में कमाल है। इसकी मजबूत सुरक्षा, उन्नत सुविधाएँ, और बड़े पैमाने पर उम्मीदवार बैठाने की क्षमता इसे परीक्षा परिदृश्य में ख़ास बनाती है। हालांकि भीड़ और ट्रैफिक को संभालने की चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार द्वारा दूसरे चरण में सात जिला स्तर पर और परिसर बनाए जाने की योजना सुनिश्चित करती है कि सुविधाएँ बेहतर होंगी ।
डिस्क्लेमर - उपरोक्त ब्लॉग कंटेंट विभिन्न क्षेत्रों से संकलित किया गया है। थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। कोशिश किया है कि परीक्षा के दौरान आपको सुविधा हो। विशेष जानकारी के लिए क्षेत्र भ्रमण करे।






सोमवार, 26 मई 2025

वट सावित्री व्रत (वट वृक्ष पूजा)

               वट सावित्री व्रत (वट वृक्ष पूजा) 
वट सावित्री व्रत एक पवित्र हिन्दू व्रत है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या (कुछ स्थानों पर पूर्णिमा) के दिन मनाया जाता है, और इसमें वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा का विशेष महत्व होता है।
वट सावित्री व्रत का महत्व:
इस व्रत का आधार सावित्री और सत्यवान की कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने तप, बुद्धि और संकल्प से यमराज से अपने मृत पति सत्यवान का जीवन वापस प्राप्त किया था। इस व्रत में महिलाएं सावित्री के समान शक्ति और समर्पण की भावना से उपवास करती हैं।
व्रत की प्रमुख विशेषताएं:
महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं (बिना पानी के उपवास)।

बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि यह दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

महिलाएं व्रत के दौरान सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
वे वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटती हैं और परिक्रमा करती हैं।
पूजा में कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, फल-फूल, और मिठाई का उपयोग होता है।
वट सावित्री व्रत की शुरुआत का संबंध पौराणिक कथा और धार्मिक परंपराओं से है। इस व्रत की शुरुआत का श्रेय सती सावित्री को दिया जाता है, जिनकी कथा महाभारत के वनपर्व में वर्णित है।

पौराणिक आधार:

सावित्री और सत्यवान की कथा वट सावित्री व्रत की मूल है। कथा के अनुसार:

सावित्री एक राजा की पुत्री थीं, जिन्होंने तपस्वी और वन में रहने वाले युवक सत्यवान से विवाह किया।

विवाह से पहले ही उन्हें पता चल गया था कि सत्यवान एक वर्ष के भीतर मृत्यु को प्राप्त होगा, लेकिन उन्होंने फिर भी विवाह किया।

एक वर्ष बाद, जब यमराज सत्यवान की आत्मा ले जाने आए, तो सावित्री ने उनका पीछा किया और अपने बुद्धि, समर्पण और दृढ़ नारी-संकल्प से यमराज को प्रसन्न कर लिया।

यमराज ने उन्हें वरदान दिया, और सावित्री ने अपने पति को जीवनदान दिलवाया।

इस अद्भुत कथा से प्रेरित होकर, सावित्री को पतिव्रता स्त्री का आदर्श माना गया और उसी के सम्मान में यह व्रत शुरू हुआ।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण:

यह व्रत हजारों वर्षों से भारतीय समाज में नारी धर्म, पतिव्रता आस्था और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक बनकर मनाया जाता है।

उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में यह व्रत विशेष रूप से लोकप्रिय है।

यह व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या (कभी-कभी पूर्णिमा) को मनाया जाता है।

बहुत समय पहले की बात है, राजा अश्वपति मद्र देश के राजा थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए घोर तप किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें सावित्री नाम की एक तेजस्विनी, रूपवती और धर्मपरायण कन्या प्राप्त हुई।

जब सावित्री विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसे स्वयंवर के लिए अनुमति दी। सावित्री ने वन में रहने वाले एक तपस्वी और राजा दुमत्सेन के पुत्र सत्यवान को पति के रूप में चुना। लेकिन जब नारद मुनि ने सावित्री के चयन पर आपत्ति जताई और बताया कि सत्यवान की आयु केवल एक वर्ष शेष है, तब भी सावित्री ने अडिग रहते हुए सत्यवान से विवाह किया।

विवाह के बाद सावित्री अपने सास-ससुर और पति के साथ वन में रहने लगी। जैसे-जैसे सत्यवान की मृत्यु का दिन निकट आया, सावित्री ने तीन दिन का निर्जला उपवास रखा और ध्यान, तप व व्रत में लीन हो गई।

मृत्यु के दिन वह सत्यवान के साथ वन गई। वहां सत्यवान लकड़ियां काटते समय अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई। तभी यमराज उसकी आत्मा लेने आए। सावित्री ने यमराज का पीछा करना शुरू किया और धर्म, भक्ति, पतिव्रता धर्म और सदाचार पर चर्चा करने लगी।

यमराज उसकी दृढ़ता और वाणी से प्रसन्न हुए और उसे तीन वरदान देने को कहा — लेकिन सत्यवान का जीवन नहीं मांगने की शर्त पर।
सावित्री ने मांगे:

1. उसके ससुर दुमत्सेन की नेत्रज्योति और राज्य की पुनः प्राप्ति,
2. उसके पिता को सौ पुत्र,
3. और स्वयं को सत्यवान की संतान की मां बनने का वरदान।
तीसरा वरदान सुनकर यमराज चकित रह गए, क्योंकि यह सत्यवान के जीवित रहने के बिना संभव नहीं था। अंततः यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दे दिया।
सत्यवान जाग उठा और सावित्री के साथ घर लौट आया। उनके ससुर को नेत्रज्योति और राज्य मिला, और सब कुछ पहले जैसा शुभ हो गया।
डिस्क्लेमर -: उपरोक्त जानकारी ब्लॉग कंटेंट विभिन्न क्षेत्रों से संकलित कर आपके लिए आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है। सभी के तौर तरीके रहन सहन में अंतर हो सकता है। इसकी पुष्टि नहीं कर सकते। इसे मात्र जानकारी ही समझा जाए। विशेष जानकारी के लिए आप स्वतंत्र हैं,🙏


बुधवार, 30 अप्रैल 2025

sadism

                               SADISM 

सैडिज्म के कई हिंदी अर्थ और भावार्थ हो सकते हैं, जो इसके संदर्भ और गहराई पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ मुख्य अर्थ दिए गए हैं:
मुख्य अर्थ:
 * परपीड़ा रति: (Parpeeda Rati) - यह सबसे सटीक और शास्त्रीय हिंदी अनुवाद है। "पर" का अर्थ है 'दूसरा' और "पीड़ा" का अर्थ है 'कष्ट' या 'दर्द'। "रति" का अर्थ है 'आनंद' या 'खुशी'। इस प्रकार, परपीड़ा रति का अर्थ है दूसरों की पीड़ा से आनंद प्राप्त करना।
 * दूसरों को कष्ट पहुँचाने में आनंद: (Dusron ko kasht pahunchane mein anand) - यह एक सीधा और सरल अर्थ है जो सैडिज्म के मूल भाव को व्यक्त करता है।
परिभाषा:
सैडिज्म एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति या व्यक्तित्व का पहलू है जिसमें व्यक्ति दूसरों को शारीरिक या भावनात्मक रूप से कष्ट पहुँचाने, अपमानित करने या उन पर प्रभुत्व जमाने से आनंद या संतुष्टि प्राप्त करता है। यह आनंद प्रत्यक्ष रूप से (पीड़ित को दर्द पहुँचाकर) या अप्रत्यक्ष रूप से (किसी और को दर्द में देखकर) मिल सकता है।
मनोवैज्ञानिक पहलू:
 * प्रेरणा: सैडिस्टिक व्यवहार की मुख्य प्रेरणा शक्ति और नियंत्रण की इच्छा होती है। पीड़ित को दर्द पहुँचाकर, सैडिस्ट शक्ति और श्रेष्ठता की भावना महसूस करता है। यह अक्सर आत्म-सम्मान की कमी या असुरक्षा की भावनाओं को छुपाने का एक तरीका हो सकता है।
 * भावनात्मक प्रतिक्रिया: जहाँ अधिकांश लोग दूसरों के दुख से परेशान होते हैं, वहीं एक सैडिस्टिक व्यक्ति को इसमें आनंद आता है। उनमें सहानुभूति की कमी होती है और वे पीड़ित की भावनाओं को समझने या उनसे जुड़ने में असमर्थ होते हैं।
 * व्यवहार: सैडिस्टिक व्यवहार कई रूप ले सकता है। शारीरिक हिंसा, भावनात्मक दुर्व्यवहार (जैसे धमकाना, अपमानित करना), दूसरों को नियंत्रित करना, और उनकी कमजोरियों का फायदा उठाना इसके सामान्य उदाहरण हैं।
 * व्यक्तित्व लक्षण: सैडिज्म को "डार्क टेट्राड" (Dark Tetrad) के व्यक्तित्व लक्षणों में से एक माना जाता है, जिसमें नार्सिसिज्म (narcissism), मैकियावेलिज्म (Machiavellianism), और साइकोपैथी (psychopathy) भी शामिल हैं। इन लक्षणों वाले व्यक्तियों में दूसरों के प्रति सहानुभूति की कमी, स्वार्थी व्यवहार और दूसरों का फायदा उठाने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
 * उपनैदानिक सैडिज्म (Subclinical Sadism): यह सैडिज्म का एक हल्का रूप है जो रोजमर्रा की जिंदगी में प्रकट हो सकता है। इसमें दूसरों को मामूली असुविधा पहुँचाने या उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचाने में आनंद लेना शामिल है, जैसे कि व्यंग्यात्मक टिप्पणी करना या दूसरों को नीचा दिखाना। हिंसक फिल्में या खेल देखना भी उपनैदानिक सैडिज्म से जुड़ा हो सकता है।
विकास और कारण:
सैडिज्म के सटीक कारण अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि इसमें कई कारक शामिल हो सकते हैं:
 * बचपन के अनुभव: बचपन में दुर्व्यवहार, उपेक्षा, या हिंसा का अनुभव सैडिस्टिक प्रवृत्तियों के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। ऐसे बच्चे शक्तिहीन महसूस कर सकते हैं और बड़े होने पर दूसरों पर शक्ति प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं।
 * सीखना और मॉडलिंग: यदि किसी व्यक्ति ने बचपन में दूसरों को दर्द पहुँचाते हुए देखा है या ऐसे व्यवहार को पुरस्कृत होते हुए देखा है, तो वे भी ऐसे व्यवहार को अपना सकते हैं।
 * जैविक कारक: कुछ शोध बताते हैं कि मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली में अंतर सैडिस्टिक व्यवहार में भूमिका निभा सकता है, लेकिन इस क्षेत्र में और अधिक शोध की आवश्यकता है।
 * व्यक्तित्व विकार: सैडिज्म कुछ व्यक्तित्व विकारों, विशेष रूप से असामाजिक व्यक्तित्व विकार (antisocial personality disorder) और नार्सिसिस्टिक व्यक्तित्व विकार (narcissistic personality disorder) से जुड़ा हो सकता है। अतीत में, "सैडिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर" नामक एक अलग निदान भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इसे अब DSM (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders) में एक अलग विकार के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है।
निष्कर्ष:
सैडिज्म एक जटिल मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जो दूसरों के दुख से आनंद प्राप्त करने की विशेषता है। यह शक्ति और नियंत्रण की इच्छा, सहानुभूति की कमी और कुछ व्यक्तित्व लक्षणों से जुड़ा हो सकता है। बचपन के अनुभव और सीखने की प्रक्रिया इसके विकास में भूमिका निभा सकती है। जबकि "सैडिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर" अब एक आधिकारिक निदान नहीं है, सैडिस्टिक प्रवृत्तियाँ अन्य व्यक्तित्व विकारों के संदर्भ में या उपनैदानिक रूप से मौजूद हो सकती हैं।
अगर आपके या आपके किसी जानने वाले में सैडिस्टिक व्यवहार के लक्षण दिखाई देते हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
डिस्क्लेमर -; उपरोक्त ब्लॉग/कंटेंट sadism की बेसिक जानकारी साझा की गई है। इसके गुण दोष में भिन्नता हो सकती है। विशेष तौर पर आप अपने पेशेवर से संपर्क करें।
ये विभिन्न क्षेत्रों से संकलित कर आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है।only for knowledge gain

मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

भावनात्मक कमजोरी

भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति को हमेशा परेशानी होने और उचित मान-सम्मान न मिलने के कई कारण हो सकते हैं। अक्सर, ऐसे व्यक्तियों को इसलिए ठगा जाता है क्योंकि उनकी भावनात्मक कमजोरी उन्हें दूसरों पर आसानी से भरोसा करने और उनकी बातों में जल्दी आने के लिए प्रेरित कर सकती है।
यहां कुछ संभावित कारण दिए गए हैं:
 * दूसरों पर अत्यधिक निर्भरता: भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति अक्सर अपनी भावनात्मक जरूरतों के लिए दूसरों पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। इस कारण, वे दूसरों को खुश करने और उनका अनुमोदन प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो सकते हैं, जिससे उनका फायदा उठाया जा सकता है।
 * आत्मविश्वास की कमी: आत्मविश्वास की कमी के कारण, वे अपनी राय या जरूरतों को दृढ़ता से व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। इससे दूसरे लोग उनकी इच्छाओं को अनदेखा कर सकते हैं या उन पर हावी हो सकते हैं।
 * ना कहने में कठिनाई: भावनात्मक रूप से कमजोर लोगों को अक्सर 'ना' कहने में मुश्किल होती है, भले ही कोई उनसे अनुचित या असहज अनुरोध कर रहा हो। यह उनकी कमजोरी का फायदा उठाने वाले लोगों के लिए एक अवसर बन जाता है।
 * भावनात्मक बुद्धिमत्ता की कमी: भावनात्मक बुद्धिमत्ता की कमी के कारण, वे दूसरों की सच्ची मंशाओं को समझने में विफल हो सकते हैं और आसानी से धोखे में आ सकते हैं।
 * सामाजिक धारणा: समाज में भावनात्मक कमजोरी को अक्सर नकारात्मक रूप से देखा जाता है। ऐसे व्यक्तियों को कमजोर, आश्रित या बोझिल माना जा सकता है, जिससे उन्हें सम्मान नहीं मिलता। कुछ लोग उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं।
 * पिछला अनुभव: यदि किसी व्यक्ति को अतीत में ठगा गया है या उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है, तो यह उसकी भावनात्मक कमजोरी को और बढ़ा सकता है और उसे भविष्य में भी ठगे जाने के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।
 * अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई: अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त न कर पाने के कारण, वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और दूसरों के व्यवहार का विरोध नहीं कर पाते, जिससे शोषण की संभावना बढ़ जाती है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि भावनात्मक कमजोरी कोई दोष नहीं है, और हर व्यक्ति सम्मान का हकदार है। हालांकि, भावनात्मक रूप से कमजोर होने से कुछ सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियां आ सकती हैं जिनसे निपटने के लिए जागरूकता और आत्म-देखभाल महत्वपूर्ण है।

बुधवार, 2 अप्रैल 2025

महिला हेल्प लाइन। dial -182

आप कामकाजी या गृहिणी हैं। आपको रोजाना या शादी सालगिरह वगैरह पर ट्रेन से आना जाना पड़ता है। ऐसे में कभी कभी ट्रेन में लेट या अंधेरा या लूटपाट, वगैरह का डर लगा रहता है। मान ले ट्रेन चल रही है अगला स्टेशन दूर है या वहां ट्रेन नहीं रुकती है और ट्रेन कंपार्टमेंट में कुछ मनचले या असामाजिक तत्व यात्रा कर रहे हैं आपको परेशान कर रहे हैं। आप अकेले है। तो घबराए नहीं धैर्य और साहस समझदारी से काम ले। और एंड्रॉयड फोन या कोई भी सिंपल फोन से तत्काल 182 पर डायल करे। या rpf महिला हेल्प लाइन है। 182पर कॉल लगाने के बाद आप कुछ बोल नहीं पा रहे तो कोई बात नहीं कॉल लगे रहने दीजिए कुछ देर। या  थोड़ा इधर उधर जाके आप उस नंबर पर कॉल करें और वस्तु विषय वस्तु से उन्हें अवगत कराएं और हो सके तो अपना ट्रेन नंबर,ट्रेन नाम, बोगी नंबर बता दें।तबतक महिला rpf आपकी आस पास के बातों को सुन लेगी और आपको ट्रेस भी कर लेगी। और अगले स्टेशन पर वो लोग सीधे आपके ट्रेन डब्बे में आपके कंपार्टमेंट में हाजिर रहेगी पुलिस के साथ। और मेरा एक व्यक्तिगत सलाह सफर के दौरान अजनबी से ज्यादा नहीं घुले मिले कहां से आ रहे हैं कहां जाना है ये सब जानकारी साझा नहीं करे।समय विपरीत हो तो घबराए नहीं धैर्य संयम और समझदारी से काम ले। ये उनके लिए है जिनको प्रतिदिन ट्रेन से आना जाना है। तो अपनी हिफाजत अपने साथ।
डिस्क्लेमर - उपरोक्त जानकारी ब्लॉग महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बनाया गया है। माताओं और बहनों के लिए।🙏🙏

सोमवार, 31 मार्च 2025

नीलकुरींजी फूल जो बारह साल में खिलता है


नीलकुरिंजी एक दुर्लभ फूल है, जो पश्चिमी घाट के शोला घास के मैदानों में पाया जाता है। नीलकुरिंजी का वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना है। यह फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है। यह फूल आखिरी बार 2018 में खिला था और अब यह 2030 में खिलेगा।
नीलकुरिंजी फूल का रंग नीला होता है और यह शंकु के आकार का होता है। यह फूल 30 से 60 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। नीलकुरिंजी फूल की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में पाई जाती हैं।
नीलकुरिंजी फूल का खिलना एक दुर्लभ घटना है। यह फूल केवल पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, जिनमें केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। इन क्षेत्रों में, नीलकुरिंजी फूल पहाड़ियों को नीला रंग देता है, जो एक सुंदर दृश्य बनाता है।
नीलकुरिंजी फूल का खिलना एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय घटना है। यह फूल कई जानवरों और कीड़ों के लिए भोजन का स्रोत है। यह फूल मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
नीलकुरिंजी फूल को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने इस फूल को एक संरक्षित प्रजाति घोषित किया है। कई संगठन इस फूल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

नीलकुरिंजी फूल के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
 👉नीलकुरिंजी फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है।
 * 👉यह फूल केवल पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
 * 👉नीलकुरिंजी फूल का रंग नीला होता है और यह शंकु के आकार का होता है।
 * 👉यह फूल 30 से 60 सेंटीमीटर तक लंबा होता है।
 * 👉नीलकुरिंजी फूल की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में पाई जाती हैं।
 * 👉नीलकुरिंजी फूल कई जानवरों और कीड़ों के लिए भोजन का स्रोत है।
 * 👉यह फूल मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
नीलकुरिंजी फूल अपने सौंदर्य और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
 * 👉पारंपरिक औषधीय उपयोग:
   * 👉नीलकुरिंजी के फूलों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में सूजन और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।
   * 👉यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद कर सकता है।
   * 👉नीलकुरिंजी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं।
 * 👉शहद उत्पादन:
   * 👉नीलकुरिंजी के फूलों से प्राप्त शहद को 'कुरिंजी थन' कहा जाता है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
 * 👉सांस्कृतिक महत्व:
   * 👉केरल की वन जनजातियों के लिए, यह फूल प्यार का प्रतीक है।
   * 👉तमिलनाडु की 'पालियाँ' जनजाति द्वारा उम्र की गणना के लिये नीलकुरिंजी के फूलों का उपयोग किया जाता है।
 * 👉पर्यटन:
   * जब नीलकुरिंजी फूल खिलते हैं, तो यह एक दर्शनीय स्थल बन जाता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
 * नीलगिरी पर्वत का नाम भी इसी फूल के कारण पड़ा है।
डिस्क्लेमर:- उपरोक ब्लॉग जानकारी के लिए आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है। पुष्टि के लिए आप स्वतंत्र हैं किसी भी माध्यम से। आप अपने अनुसार। थोड़ी बहुत भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।


मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

River ecosystem

River" can refer to different things depending on the context. Here are a few possibilities:👉A river is a natural flowing watercourse, usually freshwater, that moves towards an ocean, a sea, a lake, or another river.teacher&student motivational

River ecosystem impact--
How do rivers affect the surrounding ecosystem?

Rivers can have a significant impact on the surrounding ecosystem. They provide water, nutrients, and habitat to a wide range of plant and animal species, and their flow can help shape the landscape.

Here are some of the ways that rivers affect the surrounding ecosystem:

👉Water source: Rivers provide a vital source of water for plants, animals, and people living nearby. They also support groundwater recharge, which is important for maintaining healthy ecosystems.

👉Nutrient cycling: Rivers carry nutrients like nitrogen and phosphorus from upstream areas and deposit them in downstream areas, where they can support plant growth and other ecological processes.what is website

👉Habitat: Rivers provide habitat for a wide range of aquatic and terrestrial species. Fish, amphibians, insects, and other aquatic animals rely on the river for food and shelter, while birds and other animals use the riverbanks for nesting and foraging.

👉Flood control: Rivers can help mitigate floods by slowing down and storing excess water during periods of heavy rainfall. This can help prevent damage to nearby communities and infrastructure.

👉Soil erosion: Rivers can erode soil and reshape the landscape over time. While this can sometimes have negative impacts on nearby communities, it can also create new habitats and support ecological diversity.Gk korner

Overall, rivers play a critical role in maintaining healthy ecosystems and supporting biodiversity. However, they can also be vulnerable to human activities like pollution and development, so it is important to manage rivers and their surrounding ecosystems carefully.             👉.Rivers in the carbon cycle--
How do rivers play a role in the carbon cycle?
Rivers play an important role in the carbon cycle by transporting and transforming carbon between the land, ocean, and atmosphere. Here are some ways in which rivers contribute to the carbon cycle:
👉Carbon Export: Rivers transport carbon from land to the ocean. The carbon can come from a variety of sources, including soil, plants, and decaying organic matter. Once in the ocean, the carbon can be sequestered for a long time or used by marine organisms, which can further impact the carbon cycle.most views, moment of love,,

👉Carbon Storage: Rivers can also store carbon in their sediments. When organic matter is deposited in the sediment, it can be preserved for long periods, preventing the carbon from being released back into the atmosphere.

👉Carbon Transformation: Rivers can transform the form of carbon by breaking down complex organic matter into simpler compounds that can be used by other organisms. This process, called decomposition, releases carbon dioxide into the atmosphere.

👉Carbon Production: Rivers can also produce carbon through biological processes such as photosynthesis, which takes place in aquatic plants and algae. The carbon produced can be stored in the plant tissues or be transported downstream as organic matter.

Overall, rivers play an important role in the carbon cycle by moving, storing, transforming, and producing carbon. Understanding the carbon cycle in rivers is crucial for predicting the impacts of climate change on freshwater ecosystems and their role in the global carbon cycle.
👉Many types of Rivers--

Rivers can be classified into different types based on various criteria. Here are some common ways of categorizing rivers:

1.Classification based on the source:

👉Spring-fed rivers: These rivers originate from underground springs.

👉Glacier-fed rivers: These rivers are fed by melting glaciers.

👉Rain-fed rivers: These rivers are fed by rainfall.

👉Snow-fed rivers: These rivers are fed by melting snow.

2.Classification based on the flow:

👉Perennial rivers: These rivers flow throughout the year.

👉Intermittent rivers: These rivers flow only during certain times of the year.

👉Ephemeral rivers: These rivers flow only for a short period of time after heavy rainfall.

3.Classification based on the terrain:

👉Mountain rivers: These rivers flow through mountainous regions.

👉Plateau rivers: These rivers flow through flat, elevated regions.

👉Coastal rivers: These rivers flow into the sea or ocean.

4.Classification based on the size:

👉Large rivers: These rivers are more than 1,000 kilometers in length.

👉Medium rivers: These rivers are between 400 and 1,000 kilometers in length.car news (quora)

👉Small rivers: These rivers are less than 400 kilometers in length.

5.Classification based on the channel pattern:

👉Straight rivers: These rivers flow in a straight line.

👉Meandering rivers: These rivers flow in a winding pattern.

👉Braided rivers: These rivers have multiple channels that separate and rejoin.

6.Classification based on the discharge:

👉Exorheic rivers: These rivers flow into an ocean or sea.Pacific Ocean

👉Endorheic rivers: These rivers flow into a closed basin or lake

Example of Rivers with length--

Here are some examples of rivers with their approximate lengths:

👍Amazon River: 6,400 km (3,977 miles)

👍Nile River: 6,650 km (4,132 miles)

👍Yangtze River: 6,300 km (3,917 miles)

👍Mississippi River: 6,275 km (3,902 miles)knowledge korner 123

👍Yenisei River: 5,539 km (3,445 miles)

👍Yellow River: 5,464 km (3,395 miles)

👍Ob River: 3,650 km (2,268 miles)

👍Paraná River: 4,880 km (3,032 miles)

👍Congo River: 4,700 km (2,922 miles)

👍Amur River: 4,444 km (2,763 miles

Disclaimer--The above blog about the river has been compiled from various regions and presented in an organized manner for your perusal. I encourage you to read it and share it with others for their benefit as well.

E 69 पृथ्वी का अंत

। यह सत्य है कि E69 सड़क दुनिया की सबसे उत्तरी निर्धारित सड़कों में से एक है, जो नॉर्वे के Nordkapp (नॉर्डकैप) समुद्र तट को पृथ्वी के छोर से जोड़ती है। यह सड़क लगभग 129 किलोमीटर (80 मील) लंबी है और फिनलैंड के रास्ते से गुजरती है। यह एक खूबसूरत ड्राइव है, जो अपने प्राकृतिक दृश्यों और उत्तरी लाइट्स के लिए जाना जाता है।  
भारत की मुख्य सड़कें--

भारत में कई प्रमुख सड़कें हैं लेकिन कुछ मुख्य सड़कों के नाम निम्नलिखित हैं:

1.ग्रांड ट्रंक रोड (Grand Trunk Road): यह भारत की सबसे पुरानी सड़कों में से एक है जो कि बनारस से कोलकाता तक फैली हुई है।

2.नेशनल हाइवे ८ (National Highway 8): यह दिल्ली से मुंबई जाने वाली सड़क है जो भारत की सबसे लंबी नेशनल हाइवे में से एक है।

3.नेशनल हाइवे ४८ (National Highway 48): यह मुंबई से कोलकाता तक फैली हुई है और बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों को जोड़ती है।

4.नेशनल हाइवे ४४ (National Highway 44): यह दक्षिण भारत में फैली हुई है और हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, मदुरै और कन्याकुमारी जैसे शहरों को जोड़ती है।

5.यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway): यह उत्तर प्रदेश में फैली हुई है और आगरा को नोएडा और दिल्ली से जोड़ती है।
👉भारत और श्रीलंका के बीच सड़क नहीं है। दोनों देश अलग-अलग द्वीप समूहों पर स्थित हैं। भारत दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है, जबकि श्रीलंका भारत के दक्षिण में समुद्र में स्थित एक द्वीप है।

हालांकि, भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र मार्ग हैं जिनका उपयोग करके यात्रा की जा सकती है। तमिलनाडु के रामेश्वरम से श्रीलंका के मनार बंदरगाह तक जाने के लिए एक नौसेना सेवा भी उपलब्ध है।👈
Disclaimer-- उपरोक्त ब्लॉग विभिन्न मल्टीमीडिया क्षेत्रों से संकलित कर आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है। Please like, & forward

bank statement self generate

किसी भी बैंक से अपना statement प्राप्त करे घर बैठे अपने मोबाइल से. इसके लिए आपको किसी भी ब्राउज़र पे जाकर संबंधित बैंक का customer care का नंबर पूछना है.for eg- हम sbi bank से पता करते हैं. Latest customer care number search करके उसपर call करे.call bank मे registerd mobile number से करे.
Call करने के बाद customer care के बताये अनुसार rules follow करे. Customer care को bank account का last four digit देना पड़ता है.email पे pdf statement का लेने के लिए बैंक में email रहना चाहिए आपका.
और अपने मुताबिक one month, three months, six months का bank statement अपने registerd mobile number या email id पे प्राप्त करे.
E mail पे आये details को open करने के लिए password देना पड़ता है जो email massage मे ही दिखाया जाता है. ऐसे आपके खाता बैंक के नंबर का last four digit और आपका date of birth ही password होता है.
Disclaimer- विशेष तौर पे बैंक visit करने के लिए आप स्वतंत्र है. ये जानकारी आपको परेशानी से बचने और समय की बचत के लिए दिया गया है.


बुधवार, 29 जनवरी 2025

PDF File edit कैसे करे

PDFFILE edit process in any laptop/computer/pc /mobile--:
सबसे पहले ms Word पे जायेंगे.उसके बाद file पे जायेंगे.
उस पर नीचे file का निशान आयेगा.file को क्लिक करेंगे तो ब्राउज़ का options आयेगा.ब्राउज़ पे क्लिक करके आप pdf search करे जिसको आप edit करना चाहते हैं.उसको सर्च करके उसको open करना है! थोड़ा समय लगेगा फिर जो options खुलेगा उसमे ok पे क्लिक करना है.ok press करते ही pdf आपके ms Word पे खुल जायेगा! अब आप कुछ भी add या change कर सकते हैं. हो गया बिल्कुल आसान pdf edit. 
Disclaimer-  उपरोक्त सभी जानकारी विभिन्न क्षेत्रों से संकलित कर आपकी सहूलियत और समय की बचत के लिए आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है.इसमें कुछ विभिन्न अंतर हो सकता है.

गुरुवार, 23 जनवरी 2025

incometax file/copy download (ITR)process

अब अपना itr copy खुद download करे. या details खुद चेक करे! इसके लिए किसी भी ब्राउज़र पे जाकर type करे . Incometax.gov.in  के वेबसाइट पे जाकर search click करे! 
ये incometax का page open हो गया इसमें login के options sidecorner मे आपको मिल जायेगा उसपे क्लिक करके login होना है! Login के बाद new page open होगा उसमे pancard/adharcard number fillup करना है
आधार या pan card number देके continue कर देना है. Incometax का new page open होगा 
Log in के नीचे tick √ करके password fillup कर देना है अगर भूल गये है तो forget password पे क्लिक करके new password generate कर ले और उसे save कर ले.password enter करने के बाद continue button press करे! अब आप incometax के dashboard पे आ चुके हो.
Incometax return download करने के लिए efilling पे क्लिक करे और view itr Or year select करे और download press करे. हो गया आपका itr return download वो भी आपके मोबाइल से.
Blog/content अगर पसंद आये तो like subscribe or forward जरूर करे.
Disclaimer- उपरोक्त जानकारी विभिन्न क्षेत्रों से संकलित कर आपके लिए आपके समक्ष प्रस्तुत किया है.exception हो सकता हैं. फिर भी किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ

जीवन और मृत्यु के बीच: एंबुलेंस की यात्रा🚑🚑

आजकल शहरों मे सड़को पे ट्रैफिक जाम आम समस्या हो गई है! रोज़ कही ना कही किसी ना किसी मोड/सड़क/बाजार/चौराहा पर जाम आम बात हो गई है! अब जाम का कारण क्या है मायने ये नही मायने ये रखता है कि जाम में हमने अक्सर जीवन रक्षक गाड़ियों को लंबे समय तक फसते देखा है! 
आप सोचिये कितने पढ़े लिखे समझदार और सज्जन पुरुष/नागरिकों मे हमारी गिनती होती हैं. बिल्कुल सही बात है लेकिन थोड़ी सी जल्दीबाज़ी और नज़रंदाज़ करने की वजह से 
अक्सर 🚑एंबुलेंस जाम में फसती है.
आप अगर थोड़ा देर से भी घर पहुँचे तो कोई फर्क नही पड़ेगा
क्युकी आप सुरक्षित घर जाओगे. लेकिन  एंबुलेंस में जो व्यक्ति है बीमार है उसको देरी बहुत दूर लेके चला जायेगा इस दुनिया से.
लोग एंबुलेंस को ओवरटेक करके आगे निकल जाते हैं. जबकि ये सर्वविदित है कि एंबुलेंस में अक्सर emergency patients को ही ले जाया जाता हैं. जिनके लिए एक एक मिनट कीमती होता है.patients खुद कष्ट झेल रहे होते है उनके परिवार बेचैन रहते है. रोते हुए उनके बगल में बैठ कर उनकी मंगल कामना करते है जल्दी असप्ताल पहुँचना चाहते हैं. और ओ जायज़् और बहुत जरूरी भी होता है. आखिर किसी की जिंदगी दाव पर लगी होती हैं. ये अलग बात है की महसूस या अनुभूति हमे खुद के दुख मे ही होता है! 
आप सोचो और एहसास करो
की आपका कोई सगे संबंधी इमर्जेंसी मे एंबुलेंस से होस्पिटल जा रहे हो और ट्रैफिक आचानक् जाम हो जाए और उनके लिए एक एक मिनट कीमती हो patients कष्ट में और बेचैन हो. तो क्या बीतेगा आप पे महसूस करो आप. यही कष्ट दुसरो को भी होता होगा! 

((उपरोक्त नंबर सभी के मोबाइल में होना ही चाहिए अगर सड़क पे कोई भी घटना या दुर्घटना होती है आपके साथ कोई भी अप्रिय घटना होती हैं तो 1034 पे call जरूर करे और दुसरो को भी इसकी जानकारी दे)) एंबुलेंस को जाम में फंसने से रोकने के उपाय:
 * एंबुलेंस के लिए रास्ता बनाएं: जब भी एंबुलेंस की सायरन सुनाई दे, तुरंत सड़क का किनारा दें।
 * जाम में एंबुलेंस को आगे बढ़ने दें: यदि आप जाम में फंसे हैं और एंबुलेंस आ रही है, तो अपनी गाड़ी को थोड़ा पीछे खींचकर एंबुलेंस को रास्ता दें।
 * ट्रैफिक नियमों का पालन करें: ट्रैफिक नियमों का पालन करके आप जाम लगने से रोक सकते हैं और एंबुलेंस को आसानी से गुजरने का मौका दे सकते हैं।
 * एंबुलेंस की गति को धीमा न करें: एंबुलेंस को पीछा न करें और न ही उसकी गति को धीमा करने की कोशिश करें।
 * एंबुलेंस के रास्ते में कोई बाधा न डालें: एंबुलेंस के रास्ते में कोई सामान या वाहन न रखें।
याद रखें: एंबुलेंस एक आपातकालीन सेवा है। इसे समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
अन्य सुझाव:
 * एंबुलेंस के बारे में जागरूकता फैलाएं: लोगों को एंबुलेंस के महत्व के बारे में बताएं और उन्हें एंबुलेंस को रास्ता देने के लिए प्रेरित करें।
 * सरकार को जागरूक करें: सरकार से अपील करें कि वह एंबुलेंस के लिए विशेष लेन बनाए और ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करवाए।
अतिरिक्त जानकारी:
 * एंबुलेंस को रोकना या उसकी गति को धीमा करना कानूनी अपराध है।
 * एंबुलेंस को रास्ता न देने पर जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।
आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
Disclaimer- उपरोक्त ब्लॉग जनहित के लिए एक सुझाओ एक संदेश है और कुछ नही एक विनम्र निवेदन है की एंबुलेंस को पहले रास्ता दे.

शनिवार, 18 जनवरी 2025

hrms entitlement/increasement add process

सबसे पहले hrms bihar वेबसाइट मे maker के login I'd से log in करेंगे! इसके बाद log in as maker पे आ जायेंगे! उसके बाद pay roll generation पे क्लिक करेंगे! उसके बाद pay वाले कॉलम मे नीचे new entitlement मे आ जायेंगे! इसके create new entitlement का पेज open हो जायेगा! इसमें head of account search करेंगे for eg-2210/2211 जिस हेड से employee का सैलरी मिलता है! उसके बाद service type health department select करेंगे! 

उसके बाद search options क्लिक करेंगे! 
इसमें employee details आ जायेगा इसके बाद इस लिस्ट में सभी कर्मी का नाम आ जाता है अब जो retirement कर रहे हैं या हो गए तो उनको इस लिस्ट से हटाने के लिए in active वाले कॉलम मे उस retirement वाले कर्मी के नाम के आगे क्लिक करेंगे तो उसके side मे inactive का कारण देखाना पड़ेगा जो options रहता है जो भी कारण हो उसपे क्लिक कर देने से वो कर्मी inactive होकर इस लिस्ट से हट जायेगा! अब इसमें सबसे नीचे create pay entitlement पे क्लिक कर देंगे! 

इसमें सभी कर्मी का लिस्ट रहेगा जिसमे सभी के कॉलम को बारी बारी से pay entitlement करेंगे! कर्मी के नाम के आगे क्लिक करते ही पेज open होगा इसमें basic pay, effective date, next increasement date fillup करेंगे! Basic pay change situation मे रिज़ॉन कारण मे increasement डाल देंगे, फिर + button action वाले कॉलम मे press करके save कर देंगे! उसके बाद pay entitlement update successful का sms show होगा

उपरोक्त sms को कट करेंगे तो वापस उसी पेज पर आकर नीचे scroll करके basic pay, da, hra, ma , total earning or total deduction मिला लेंगे कुछ सुधार करना हो तो manually कर लेंगे.net pay मिला के ok कर लेंगे! फिर update head value पे क्लिक करेंगे! 
तो salary head dated sucessfull का sms आ जायेगा! उसको कट करके close क्लिक कर लेना है.सभी listed employee का entitlement इसी तरह से बारी बारी से कर लेना है. उसके बाद i have checked salary..... all  employee वाले options पे क्लिक करके send to approver पे remarks ok देके send कर देना है! Submit पे क्लिक करके! फिर maker के  log in से log out होकर approver/checker के login I'd से login करेंगे.
Approver के tasklist/inbox मे refrence number के साथ maker द्वारा send bill show होगा. जिसे refrence number पे क्लिक करके chek कर लेंगे. और action taken पे क्लिक करके approver and esigned पे क्लिक करेंगे और remarks मे ok या aprove लिख देंगे फिर submit पे क्लिक कर देंगे! Submit करते ही otp veryfy पे क्लिक कर देंगे ये bypass रहता है! एक sms application sucessful का sms आ जायेगा! उसको ok कर देना है. अब increasement/entitlement update हो गया है

represented by qrb

गांव की 🪔🎇 दिवाली

मैं एक मध्यम परिवार से हूं। शुरुआती जीवन ग्रामीण और संयुक्त परिवार में हुआ था। ग्रामीण माहौल ग्रामीण मौसम के साथ पल बढ़ कर आज शह...