शनिवार, 27 अगस्त 2022

Work is worship

              कर्म

जैसे हज़ारों गाय मे बछडा अपनी माँ को ढूंढ लेता है वैसे ही कर्म कर्ता को ढूंढ ही लेता है। आप क्या अनुभव करते हो जब कोई पूजा अनुष्ठान करते हो तो मानो आपको ईश्वर की अनुभुती हो रही हो। अच्छी बात है पूजा अनुष्ठान सार्थक हुआ। लेकिन झूठ बोलते समय किसी के साथ बैमानी करते समय किसी का अपमान करते समय अपने स्वार्थ के लिए दूसरे को दुःख देते समय उचित कार्य नही करते समय क्या सोचते और अनुभव करते हो आप शांति से विचार करना। क्या इस समय में ईश्वर अपनी आँखे बंद कर लेते हैं।।कदआपी नही ईश्वर तो सब जगह है सब कुछ देखता है।


कर्म करो फल की आशा


यह कथन संस्कृत में "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" है। इसका अर्थ होता है कि आपके अधिकार केवल कर्म करने में हैं, फल की आशा किये बिना। इस कथन से समझाया जाता है कि आपको कर्म करने में जुटना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

इस कथन का मूल्य व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में बहुत उच्च है। इसे अपनाने से आप अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें बेहतर तरीके से कर सकते हैं। यह आपको सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आपको अपने आप में संतोष और शांति लाने में भी मदद करता है।

इस कथन का अनुसरण करने से, आप अपनी उत्पादकता में सुधार करते हुए अपने कार्यों में निष्ठापूर्वक लग जाते हैं और फल अपने आप ही आपके पास आता है। इसके अलावा, यह आपको सफलता के बारे में निरंतर चिंता करने की आवश्यकता से दूर रखता है जो कि एक अधिक तनावपूर्ण जीवन का कारण बनता है।

गलत समय आपके अंदर से आत्मा की आवाज़ आती हैं लेकिन लोभ इर्ष्या स्वार्थ के वशिभूत होके आप उसको नज़रंदाज़ कर देते हो। लेकिन ईश्वर कुछ भी नज़रंदाज़ नही करता है। लोहा को उसके खुद के जंग से नष्ट होना पड़ता है। वैसे ही आपके पतन , समस्या, दबाओ, बीमारी खुद आपके वज़ह से होती है। प्रकृति का नियम है जो रोपोगे वही पाओगे। आम के बदले आम। बबूल के बदले बबूल। करना क्या है पाना क्या है खोना क्या है सब आप पे निर्भर करता है। 🙏🙏


जीवन में कर्म

जीवन में कर्म एक बहुत महत्वपूर्ण अवधारणा है जो हमारे दिनचर्या, सोच और भावनाओं को निर्दिष्ट करती है। कर्म हमारी चेतना और आचरण को निर्दिष्ट करता है और हमें उस दिशा में ले जाता है जो हमारे जीवन के उद्देश्य तथा आशाओं के साथ मेल खाती है।

कर्म एक सिद्धांत है जो कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। कर्म अनुसार, हम अपनी जीवन पथ पर चलते हुए अपने कर्मों के अनुसार अपना भविष्य निर्माण करते हैं। जो भी हम करते हैं, उसके बदले में हमें उससे संबंधित फल मिलता है। यह सिद्धांत हमें यह भी समझाता है कि जीवन में सफलता अथवा असफलता का ज़िम्मेदार हम खुद होते हैं।

इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक कर्म करने की जरूरत होती है और दूसरों के लिए मदद करने में संतुलित होना चाहिए। 

  1. "कर्म ही जीवन का आधार है।" - महात्मा गांधी

  2. "कर्म करो, फल की चिंता मत करो।" - भगवद गीता

  3. "कर्म ज्योति नहीं होता, कर्म हमेशा उजाला देता है।" - स्वामी विवेकानंद

  4. "कर्म का फल नहीं, कर्म करने का तरीका महत्वपूर्ण है।" - स्वामी दयानंद सरस्वती

  5. "कर्म करने से न केवल आप अपने भाग्य को बदलते हैं, बल्कि आप उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल भी बन जाते हैं जो आपकी देखरेख में होते हैं।" - अब्दुल कलाम    "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥"disclaimer-- उपरोक्त blog&content कुछ अपने अनुभव पे आधारित तथा कुछ अन्य माध्यमो से संकलित है। 

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