मासूमियत और बेबसी🌹 मसुमियत एक फारसी शब्द है जो एक व्यक्ति या स्थान की सौंदर्य और सुंदरता की भावना को व्यक्त करता है। इस शब्द का अनुवाद "खूबसूरती", "मनमोहकता", "सुंदरता" या "मनोहरता" होता है। यह शब्द आमतौर पर किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या समूह की सुंदरता, सौंदर्य और आकर्षण की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
यह शब्द भावनात्मक रूप से विशेष रूप से महसूस की जाती है और वहाँ से अनुभव की जाती है। इसलिए, मसुमियत की परिभाषा सटीक नहीं होती है क्योंकि यह लोगों द्वारा भावनात्मक रूप से महसूस की जाने वाली एक अनुभूति होती है। Quora पर आयें। दिलचस्प बातें बेबसी एक हिंदी शब्द है जो एक व्यक्ति या स्थिति के लिए उसकी कमजोरी या असमर्थता को व्यक्त करता है। यह एक ऐसी स्थिति हो सकती है जब व्यक्ति को कोई समस्या या मुश्किल का सामना करना पड़ता है जो उसे हल नहीं करने में सक्षम बनती है। इस शब्द का उपयोग अक्सर किसी व्यक्ति की दुखद अवस्था या कमजोरी को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इसे अंग्रेजी में 'helplessness' भी कहते हैं।
एक करतब दिखाकर अपना और अपने परिवार की भूख मिटाता मासूम बच्चा। गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर।
आज दिन में कुछ जरूरी काम से घर से निकला चुकी मौसम काले घने बादलों से भरा था हवाएं चल रही थी आज गर्मी और उमस से राहत मिल रही थी। रिमझिम रिमझिम हल्की हल्की बारिश मौसम को और सुहाना बना रहा था। पैदल ही चल रहे थे । बाजार मे क।फी चहल पहल थी। शायद 01:00 बजने को था। स्कूल में छुट्टी का समय। सभी बच्चे अपने -अपने अभिभावक के साथ घर आने की जल्दी बाजी मे थे। कोई कार से, कोई motorcycle, कोई इलेक्ट्रिक रिक्शा, तो कोई पैदल ही घर जा रहे थे। अलग अलग स्कूल के बच्चे सभी का ड्रेस कोड भी अलग अलग लग रहा था लेकिन बहुत सुंदर नजारा था। तभी एक स्कूल के सामने करतब दिखाने की तैयारी करता एक गरीब बेबस बच्चे और उनकी माँ दिखी।
मैले पुराने कपड़े पहने एक लगभग 6(six) वर्ष की छोटी मासूम लड़की और उसकी माँ भी पुरानी साडी पहने दोनों स्कूल में छुट्टी होने का इंतज़ार कर रही थी। दोनों तरफ तीन डंडा का पाया और बीच में एक रस्सी बंधी थी इसी पे उस छोटी बच्ची को चलना था यही करतब दिखाना था।⛄🧚♂️छुट्टी के घंटी की आवाज़ स्कूल से बाहर आई तो इन् दोनों को बहुत खुशी हुई। ,,,जबकी मेरे मुताबिक छुट्टी के समय स्कूल के बच्चे घर जाने की खुशी में हँसते मुस्कुराते चेहरों के साथ बाहर निकलते है। अपनी पसंद का समान लेते हैं और घर जाते है खेलते कुदते कार्टून देखते हैं। खाते पीते हुए घर जाते हैं। किसी को शाम मे चिड़ियाघर जाने की खुशी तो किसी को पार्क जाने की तो किसी को बाजार जाने की।,,,,,,
लेकिन वो गरीब बच्ची और बेबस माँ इनको देख के खुश हो रही थी। शायद इस लिए की यही बच्चे और इनके साथ आये अभिभावक को करतब दिखाकर कुछ पैसे मिल जाएंगे। रहने का तो ठिकाना नहीं लेकिन खाने को दो वक़्त की रोटी और तन ढकने के लिए कपड़े का इंतज़ाम होगा। हुआ भी। दोस्त तो कमीना होता है 😃
छुट्टी हुई करतब शुरू छोटी बच्ची हाथ मे डंडा लिए रस्सी पे चलने लगी, माँ चिल्ला चिल्लाकर लोगो से करतब के बारे में बोल रही थी। और रुपिया दस रुपिया मांग भी रही थी। आँचल फैला के सभी दर्शक रूपी बच्चे और उनके अभिभावक के पास जा रही थी। लोग पैसा देने भी लगे। हमने भी 50 (पचास) रुपिया दे दिया। लगभग 10 मिनट वो बेबस बच्ची रस्सी पे बिना सहारे के चली। फिर खेल खत्म सभी बच्चे घर जाने लगे ये दोनों पैसा गिनने लगे और शायद ये सोच रहे हो की आज अच्छा कमाई हो गई। खाना अच्छा मिलेगा। लेकिन क्या इस बच्ची को स्कूली बच्चे को देख के कोई फीलिंग नही होता होगा। क्या ये सपने नही देखते होंगे। लेकिन लाचारी बेबसी और गरीबी ने इस मुकाम पर लाके खड़ा कर दिया है। किस्मत का खेल निराले। कहीं धूप कहीं छाँव। किसी के द्वारा बेमतलब खर्च की गई राशि के समतुल्य कोई दिन भर में नही अर्जित कर पाता है। कोई स्वाद के लिए खाता है तो कोई पेट भरने के लिए। कोई फैशन और style के लिए कपड़े पहनता है तो कोई किसी तरह अपने बदन को ढकने के लिए। खैर जिंदगी संघर्ष है कुदरत का खेल वही जाने।reading urgent
मासूमियत और बेबसी
जब एक व्यक्ति किसी बुरे कर्म के शिकार होता है या वह किसी बुरे समूह के अभिभावकों के दबाव में होता है, तो उसे बेबसी महसूस होती है। यह अपने आप में एक दुखद अनुभव होता है जो एक व्यक्ति की निर्ममता और निराशा का परिणाम होता है। यह आदमी को उसकी स्वतंत्रता और अधिकारों से वंचित कर देता है, जिससे वह अपने आप में असुरक्षित और निर्बल महसूस करता है।
इसलिए, मासूमियत बेबसी में बदल जाती है जब किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अनुचित और अन्यायपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जाता है।
Disclaimer-- only for reading, watching & like forward. It's collected by many digital platforms & some self fellings.