गुरुवार, 6 अक्टूबर 2022

नोवेल कोरोना वायरस( covid19)

           

                    Covid19 और जिंदगी         कोविड-19 एक संक्रमण है जो कोरोनावायरस के कारण होता है। यह संक्रमण संपर्क के माध्यम से फैलता है और श्वसन संक्रमण, बुखार, सूखी खांसी और थकान के लक्षण प्रदर्शित करता है। इससे बचाव के लिए मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोना आवश्यक हैं।

वर्ष 2019 तक हमलोग इस नाम और वायरस से अंजान थे। लेकिन 2019 के अंत और 2020 के शुरुआत में पूरी दुनिया इसे जान भी और समझ भी गई। जिसकी शुरुआत चीन के वूहान शहर से हुई थी। ये एक प्रकार का आर एन ए वायरस है। और विषाणु का एक समूह है। लैटिन में कोरोना का अर्थ मुकुट होता है चुकी इस वायरस के चारो तरफ मुकुट नुमा आकृति होती हैं। ये संक्रमण से तेजी से फैलता है। भीड़ वाली जगह पर और तेज गति से फैलता है। 

कुछ रोचक तथ्य-- सन् 1918 ई मे स्पेनिश फ्लू नामक महामारी ने काफी जान माल की क्षति पहुँचाई थी।  लगभग पूरे विश्व में 5(five carore) करोड़ लोग मारे गए थे। ये बॉम्बे से लौटे एक सैनिक जहाज से फैला था। उस समय भारत में ज्यादा महिलाएं संक्रमित  हुई थी क्युकी वो ज्यादा कुपोषण का शिकार थी। ये काफी हद तक आज के वायरस वाले महामारी से मिलता जुलता है। स्पेनिश फ्लू मे भी सावधानी ही बचाव था। हैंड वॉश, साफ- सफाई, इम्यूनिटी पॉवर बूस्ट, करने के साथ सोशल डिस्टेंस और लॉकडॉन लगाया गया था। उस समय अमेरिका और लुइस मे मृत्यु दर कम थी क्युकी इनके द्वारा लॉकडॉन का सख्ती से पालन हो रहा था। वो समय first world War का था। ठीक 100 वर्ष बाद महामारी का दस्तक। (स्पेनिशफ्लू ऑफ १९१८ by s lara) लगभग 18 साल पहले सार्स वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था। 2002-03 में सार्स की वजह से पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे/

जो वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है उसका साइज एक बिंदु (डॉट) से भी 2 हजार गुना छोटा है यानि अगर आप एक पन्ने पर एक बिंदु (डॉट) डालते हैं उसका जो आकार होगा उससे भी 2000 गुना छोटा यह जानलेवा कोरोना वायरस है. बाकी जानकारी तो आपको होगा ही। क्युकी लगभग सभी चैनलो न इसको दिखाया और बताया  ही है। 

वर्ष 2019 मे होली के कुछ दिन के बाद ही कोरोना वायरस भारत में दस्तक दिया। और तबाही का दौर शुरू। क्युकी एकदम नया और अदृस्य (individual) दुश्मन रूपी वायरस  से सभी लोग डरे हुए थे। डब्लू एच ओ ने से महामारी घोषित किया। 

इसी सब के बीच एक अनुभव आपसे साझा कर रहे हैं। दिन रविवार covid२९ के कारण जनता कर्फ्यू लागू सुबह 07am से 10pm रात्रि तक 22/3/2020 --सुबह सुबह scooty से बाजार निकला घर के किचन संबंधी समान लाने। बाहर का नजारा देख के मन व्याकुल हो गया। सुनसान रास्ते, वीरान खाली बाजार, बंद दुकाने, एक अजीब सी खामोशी थी। प्लेटफॉर्म खाली, बंद खड़े ट्रेन, 

covid१९ का डर

जाने कहाँ गए वो दिन, वो दिहाडी मजदूरों का हुजूम। सड़क पर वो घंटो लगने वाला जाम। गाडी की लम्बी कतारे। स्कूल, कॉलेज जाते युवक युवती। बाजार करती महिलाएं। हम गए किराना की दुकान पर घर का समान लिया। यही पे कुछ दुकान्दार समान ऊँची कीमत पर बेच रहे थे। आपदा में अवसर सृजित किया जा रहा था। जबकी ऐसा करना मनाही थी। मास्क, senitizer, gloves etc ज्यादा दाम में बेचा जा रहा था। फिर भी समान कम पड़ रहा था। उसके बाद भी कुछ लोग थे जो गरीबों की मदद कर रहे थे। 

Covid१९ का पारिवारिक जीवन में असर

खैर हम घर आये तो हैंड senitize किया। कपड़े खोले गर्म पानी में डेटॉल डालके नहाया। जो रोज़ किया करते थे। सभी लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए अलग अलग रह रहे थे। मेरी एक छोटी सी प्यारी सी भतीजी है। और भी छोटे छोटे बच्चे है घर में। शायद वो भी मुझे घूर रही थी पास आना चाह रही थी खेलना हमसे बात करना चाह रही थी। दूसरे कोने मे धर्म पत्नी भी प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। मेरा भी दिल धड़क रहा था। दिल अंदर से रो पड़ा। प्रभु ये कैसी विडम्बना है की एक घर एक छत अपने लोग फिर भी दूरियाँ। पास जाओ तो परिवार को खतरा। बहुत मुश्किल से समय कट रहा था। ईश्वर दोबारा नहीं आये ऐसा दिन। समय सिर्फ गुज़र रहा था। मोबाइल, whatsApp, वीडियो call का सहारा था। सुबह सुबह सभी लोग तुलसी, गोल मारीच, गर्म मसाला का काढा पीते थे। गिलोय का टैबलेट खाते थे। हल्का गर्म पानी पीते थे। लेकिन बात चीत, विचार, उठना बैठना बंद था। ऑनलाइन काउंसिलिंग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो महीनों में पति-पत्नी में झगड़ों के कुल 808 मामले आए, जिनमें से 15 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हैं. इसके अलावा 13 फीसदी मामले कानपुर, 11 फीसदी मेरठ, 10 फीसदी बरेली, 9 फीसदी आगरा, सात-सात फीसदी बनारस और गोरखपुर, पांच फीसदी प्रयागराज, चार फीसदी मुरादाबाद के हैं. इसके अलावा 19 फीसदी मामले राज्य के अन्य जिलों से आए हैं.

covid१९ एक अभिशाप

लॉकडॉन और covid२९ के कारण कल कारखाने बंद हो गए। रोजगार छीन गया। सबकुछ बंद गरीबो के लिए अभिशाप था covid२९. दिहाडी मजदूरों का रोजगार छीन गया। फुटकर विक्रेता, गली गली घूम कर बेचने वाले को बहुत दिक्कत झेलना पड़ा। क्युकी काश पापी पेट और भूख लॉकडॉन और covid१९ को समझ पाता। 
Covid१९ वरदान
कुछ लोग के लिए अवसर भी साबित हुआ कालाबाजारी से मुनाफा कमाने का। जो संपन्न लोग थे उन्हे परिवार के साथ रहने का।। प्राकृतिक रूप से वरदान साबित हुआ लॉकडॉन। कल कारखाने बंद, ट्रेन बंद, प्रदूषण पे प्रकृति ने लगाम लगा दिया। हमारी सभ्यता को याद दिला दिया। हाथ मिलाना बंद हाथ जोड़ना सीखा दिया
काफी डरावना अनुभव था covid १९. दोस्तो पुरा अनुभव एक कंटेंट मे बयां करना संभव नहीं है। इस लिए शेष अगली कड़ी मे, हम तुम और कविद् 19। 

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