खुशी और आकांक्षा
जीने की कला open & readखुशी और आकांक्षा---
आकांक्षा एक दृढ़ इच्छा होती है जो हमें एक उच्च लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें एक सकारात्मक भावना देती है जो हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है। आकांक्षा एक ऐसी शक्ति है जो हमें जीवन में उच्चतम स्तर तक पहुंचने में मदद करती है। यह हमें अपनी क्षमताओं का परिचय कराती है और हमें अपने अधिकारों को पहचानने में मदद करती है।
आकांक्षा के साथ नियंत्रण हो तभी खुशी संभव है। नही तो जिंदगी भर छाँव की तलाश मे धूप से गुज़रना पड़ेगा। खुशी के लिए दिखावा नहीं करके संतुलित और संयमित जीवन जीना होगा मूलभूत सुविधाएं भी नही मिले तो खुशी मज़ाक लगती हैं। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि मनुष्य एक समाज़िक् प्राणी है और परिवार से समाज़ बनता है। फिर परिवार तो कई सदस्यों का समूह है। और सभी का सोच, विचार, व्यवहार, आपसे मिले बिल्कुल जरूरी नही जबकी मॉडर्न युग है दिखावा का दौर है। एक ओर जहाँ आपने समझ से काम लिया, संतुलित रहे, दिखावा नहीं किया वही दूसरी ओर खुले आम प्रदर्शन हो रहा है। जरूरत और आकांक्षा के आगे रिश्ते कमज़ोर और बेबस नजर आ रही हैं। सकारात्मक और नकारात्मक ये भी जानेएक छोटा सा उदाहरण- आपके घर में चार बच्चे है। माता- पिता है। एक छोटा भाई और एक बहन शादी के लिए है। और निम्न आय की नौकरी और आमदनी है। संतुलित खर्च है। बाजार से कोई समान लिए चॉकलेट, मिठाई थोड़ा सा। घर में कम पड़ गया। क्या करोगे। जरूरत और आकांक्षा रिश्ते पर भारी पड़ता नज़र आ रहा है। समझ रहे हो। हो गया। उपर बोल चुका हूँ परिवार है सोच अलग, व्यवहार अलग। यही है मजबूरी।जब एक माँ बाप की परवरिश मे उतार चढ़ाव होता है तो आप अंदाज़ा लगा लो। खामोशी से बहुत कुछ झेलना पड़ता है। ये मेरा व्यक्तिगत राय और विचार है। फिर भी स्वाभिमान का अलग और सर्वोच्च स्थान है। जो गरिमामयी है। फिर भी हमलोग रमता योगी बहता पानी है साहब। जब जैसा तब तैसा। कोई घमंड नहीं। कुछ हद तक आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होना भी घरेलू हिंसा का कारण है। और आगे पढ़े meaning of hello जरूरत और आकांक्षा
अब दूसरी तरफ एक कस्बे में एक छोटा निम्न आय प्राप्त परिवार रहता था। आधुनिकीकरण से दूर। प्यार भरी जीवन व्यतीत हो रही थी। सभी आपस में मिलजुल के प्रेम भाव से रह रहे थे। बीबी बच्चा और खुद कुल दो जने खुद दो बच्चे कुल चार सदस्य। यहाँ पर भी जरूरत थी आकांक्षा थी पर प्रेम और रिश्ते सर्वोपरि था। इनको शादी में आमंत्रित किया गया गाँव से दूर शहर में। घर के मुखिया ने जरूरत और हैसियत के हिसाब से अच्छी खासी खरीददारी की। इस महीने का खर्च इनके मुताबिक ज्यादा था। फिर भी परिवार के लिए सब ठीक है यही सोच के साथ। नियत समय पर घर के मुखिया (अभिभावक) अपने परिवार के साथ शादी घर में पहुँच जाते है। शुरुआत में आवाओ भगत सम्मान होता है। धीरे धीरे सारे लोग आने लगते है।चुकी ये लोग का पेहनlवा ओढावा साधारण थी। आय सीमित थी। वही कुछ रिश्तेदार खुलकर प्रदर्शन कर रहे थे। एक दिन शाम को घर की महिलाएं शादी गीत गा रही थी नृत्य हो रहा था। हँसी मज़ाक चल रहा था। दूसरी ओर एक सज्जन महिला इनके पत्नी को बोल पडी। आपकी साड़ी पुराना style की है। कुछ नया लेना था जो अभी चला है। तुम्हारे पास अपना मोबाइल नही है। गहने है कि कम है। कैसे रहती हो। गाडी घर में है। और भी बहुत तरह के तंज कसे गए। तत्काल तो उसने हंसकर बात टाल दिया लेकिन इस बात को वो अपने दिल और दिमाग से निकाल नही पाई। रात भर करवटें बदलते रही। अगले दिन से मायूस रहने लगी। शादी हुई ये लोग वापस गाँव आये। मोटापा कम करने का अचुक उपाय रिश्ते की हार
लेकिन इनकी पत्नी की सब्र की बांध टूट गई और उन्होंने एक रात बोल दिया। ए जी एक बात बोलू पति बोले क्या /पत्नी बोली आखिर कब तक हमलोग ऐसे मन मारकर, संतोषी जीवन जीयेंगे। मै अब औरो की तरह खुलकर जीना चाहती हूँ। और अपनी सारी मांगे श्रीमान जी के सामने रख दी। अचानक प्यार भरा माहौल शांत दोनों चुप क्या बोले क्या नही कुछ नही समझ आ रहा। तत्काल दोनों करवटें बदलते सो गए। लेकिन दूसरे दिन से लगातार श्रीमती जी उदास मायूस रहने लगी। घर का माहौल ही बदल गया। प्रेम, रिश्ता, कद्र पर जरूरत की मार भारी पड़ गई। आकांक्षा, शौक, जरूरत, दिखावा ने घर के माहौल को पूरी तरह से बदल दिया। क्या यही प्यार है। खुशी क्या है। कब मिलती है खुशी। और अंततः श्रीमान जी को भविष्य की चिंता छोड़ सारी मांगे मानने पड़े। ये बात सही साबित हो रही है कि नही की गरीबी मे भी खुशी है अगर दिखावा नही हो और आकांक्षा पे पूर्ण नियंत्रण हो तब। वक़्त की नजाकत को समझे और जिंदगी जीये
निष्कर्ष--वर्षा का सही आनंद वही लोग को नसीब है। जिनके पास पैसा है। पहनने को कपड़ा, रहने को घर, चलने को व्यक्तिगत गाड़ी हो घर में अनाज हो। वर्षा मे गर्म प्याज और आलू के पकोडा और गर्मा गर्म चाय। डीलक्स बंगलो मे dinningroom मे बड़ा सा led TV 📺 /हाथ में android phone हो। और घर के आगे पीछे नौकर चाकर् हो। खुशी भरे जेब पूरी जरूरत से होते है। जिंदगी में अपवाद भी होते है। सोचने की शक्ति से जीवन जागृत
वही दूसरी ओर समाज़ के कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हे किसी कारण बस खाना नसीब नहीं। रहने को घर नही। खपडे का झोपडी नुमा घर। और फर्श मिट्टी का, हवा के साथ तेज वर्षा, झोपडी से टपकता वर्षा की बुँदे और गीला भींगा फर्श। खाली जेब, फटे कपड़े, भूखे बच्चे, परेशान पत्नी और काली अंधेरी रात। घर में राशन नही। बाबूजी बेबस बीमार। कल्पना मात्र से रूह काँप जाती है। दिल घबराता है। मन रो देता है। उफ़ हे प्रभु ये कैसी बेबसी कैसी विडंबना। इन गुमनाम जिंदगी में वर्षा और ठंढ का मौसम खुशी देगी क्या।। क्या यही है जीवन। आज के लिए इतना ही इसके आगे तत्काल लिखने की हिम्मत नहीं। मन उदास हो गया।
*आकांक्षा और ईमानदारी दो बहुत ही अलग-अलग गुण हैं।*
आकांक्षा व्यक्ति की उत्कृष्टता तक पहुंचने की इच्छा होती है। इसका मतलब होता है कि वह जीवन में अधिकतम संभावनाओं को खोजता है और संभवतः सब कुछ हासिल करने के लिए प्रयास करता है। इसके लिए वह अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति बहुत उत्साही होता है और किसी भी मानवाधिकारों को तोड़ने से घबराता नहीं है।
दूसरी ओर, ईमानदारी व्यक्ति की शुद्धता और सच्चाई के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वह सत्य का पालन करता है और दूसरों के अधिकारों को समझता है। ईमानदारी सबसे ज्यादा मूल्यवान गुणों में से एक है, क्योंकि यह विश्वास का मुद्दा होता है। जिस व्यक्ति में ईमानदारी की गुणवत्ता होती है, वह अपने वचनों का पालन करता है और दूसरों के साथ एक निष्ठावान संबंध बनाता है।
इन दो गुणों का संयोग समझदार, सफल और उत्कृष्ट व्यक्ति के लिए बेहद जरूर है।
Disclaimer-- मेरे ब्लॉग खुद के अनुभव और कुछ अन्य माध्यम से संकलित किया गया है। उद्देश्य मात्र आपसे जानकारी साझा करना। विशेष रूप से पालन के लिए expert से सलाह ले
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