सावधानी ही बचाव है सोचने की शक्ति
बडी से बडी समस्या सुलझाया जा सकता हैं वो भी बहुत आसानी से। अक्सर समस्या बडी नही होती हैं बल्कि हमारे सोचने की शक्ति सीमित या छोटी होती हैं। या पारंपरिक होती है। या पिछले अनुभव पे आधारित होता है। सही सोच के लिए उचित समन्वय के साथ सही समझ जरूरी है।
सोचने की शक्ति
सोचने की शक्ति को विकसित करने के लिए हमें नए और भिन्न विचारों को खोजना चाहिए, नए और उत्कृष्ट अनुभवों का सामना करना चाहिए और सीखना चाहिए
सोचने की शक्ति
सोचने की शक्ति को विकसित करने के लिए हमें नए और भिन्न विचारों को खोजना चाहिए, नए और उत्कृष्ट अनुभवों का सामना करना चाहिए और सीखना चाहिए
कुछ उदाहरण जो सोचने की शक्ति को दर्शाती हैं।
ठीक वैसे ही जैसे बचपन से जंजीर मे बँधी हाँथी जब बड़ा हो जाता हैं तब भी वो अपने को उस जंजीर से बँधा ही समझता है। क्यों ? क्युकी वो जंजीर के आदि हो चुका है। जबकी हकीकत में हाथी की ताकत बड़े से बड़े वृक्ष को उखाड़ फेंकने की है। ये ही है मानसिक जंजीर। हांथी की सोचने की शक्ति जंजीर और हाथीवान तक सीमित है। उसके इशारे पर ही वो चलता है। इसे आप सोचने की शक्ति कह सकते हैं।
दूसरी तरफ घर में सभी लोग एक साथ टी वी पे सिरियल देख रहे हो। तारक मेहता का उल्टा चश्मा, या मोटू पतलु, छोटा भीम कुछ भी।और अचानक सिग्नल चला गया। तभी मिठी छोटी बच्ची ने बोला दादू लगता हैं उपर बंदर डिश एंटीना हिला दिया है। क्युकी अगली बार खराब picture बंदर की वजह से आया था। लेकिन तभी मिठी की दादू श्रीमति नीलम जी ने बोला नही रिमोट देखो। ओम भाई जो साथ मे ही था। रिमोट से कुछ दबाया लेकिन शायद बटन काम नही किया। रिमोट को हिलाया डोलाया जाने लगा। तब सविता जी जो घर में सबसे बडी थी। उन्होंने कहा बेटा रिमोट टूट जायेगा मत पटको। हो सकता है बैटरी नही हो। लेकिन समस्या इसमें से कुछ नही था। पता चला खराब मौसम की वजह से सिग्नल खराब था।उपर की बातों से आप समझ गए होंगे की सबका सोचने का समस्या सुलझाने का तरीका अलग है क्युकी उनकी सोचने की शक्ति और तरीका अलग है। अपनी सोच और समझ का पैमाना बड़ा रखें
ऐसा क्यों होता है -- आपने सोच नही समझा नही बल्की पिछले अनुभव पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी। जबकी अक्सर ऐसा होता नही है। आपलोगों का दिमाग एक बंधन में है। आपलोगों की सोच सीमित है। लेकिन जो समस्या के बारे में बारीकी से सोचता है समझता है और जानकारी रखता है वो जल्दी समस्या सुलझा लेता है। क्युकी ये व्यक्ति कई तरीको से सुलझाने की कोशिश करता है। सबसे अलग सोचता है।
दिमाग पर पड़ता है असर-- जब आप किसी समस्या को सुलझा नही पाते तो झुंझलाहट और गुस्सा आता है। मन बेचैन लगता है। मन में हीन भावना आयेगी।
1. दिमाग शांत रखे। क्युकी शांत दिमाग से समस्या को समझ पाएंगे। उसे सुलझाने का रास्ता निकाल पाएंगे। समस्या के कारण को समझ पाएंगे। 2. किताब से फायदा मिलेगा- सीमित mindset से निकलने के लिए किताबें और ऑडियो बुक पढ़े। मोबाइल पज़ल गेम खेलें। शतरंज से भी दिमाग तेज होता है। 3. मल्टीमीडिया का सहारा ले। मोबाइल या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक चीज खराब हो तो गुस्सा नही कर के उसका समाधान करे। On-line गाइड ले। 4. अपने तार्किक क्षमता को बढ़ाये। बातचीत से जानकारी हासिल करे। अपने अनुभव के बजाय नज़रिया और वर्तमान स्तिथि को ध्यान में रखें। नये तरीके से समस्या को समझे।
निष्कर्ष---उपरोक्त जानकारी विभिन्न माध्यम से लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। एक कहावत से अंत करता हूँ---रसरि आवत- जात ते, सिल पर पड़त निशान। सभी चीजें कठिन होती हैं आसान होने से पहले। सबसे पहले बचपन में cycle को याद करे। Cycle चलाने सीखने में कितनी चोट खायी थी आपने। और अब कितना आसान है। उम्मीद है मेरा ब्लॉग आपको पसंद आया होगा।
Disclaimer-- उपरोक्त ब्लॉग खुद के अनुभव और कुछ अन्य क्षेत्रों से लिया गया है। उम्मीद है पसंद आया होगा। Only for read, like please
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