गुरुवार, 1 सितंबर 2022
परिवार(family)
आजकल के अlधुनिकीकरणं युग में पारिवार छोटा और एकल तक सिमट गया है। छोटा परिवार सुखी परिवार।चलो मान लिया लेकिन पहले तो लगभग परिवार बड़ा संयुक्त होता था पर उस समय भी लोग अच्छी नौकरी प्राप्त करते थे।सुखी पारिवारिक जीवन जीते थे।अमीर होते थे तरक्की भी करते थे।अगर आपस में लगाओ और प्यार हो तो एक कमरे मे 20twenty लोग एक साथ रह लेंगे खुशी खुशी।लेकिन अगर मन नही मिल रहा हो, आपस में कलह, तनाव हो तो एक कमरे मे एक आदमी को भी रहने मे दिक्कत होगी।जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।जिंदगी में सफल होने के लिए, या किसी भी तरह से प्रगति करने के लिए दृष्टिकोण सही, कर्म सही होना चाहिए।हम मंदिर जाते हैं पूजा करने और घर के देवता को नज़रंदाज़ करते हैं।धरती पर ईश्वर का रूप है माँ और पिता।एक दूसरे से आगे निकलने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं कुछ भी कर सकते हैं।valentine special पारिवारिक कलह का मुख्य कारण १ आपसी असहमति, प्रेम का अभाव १. विचारों का तालमेल नही होना ३. पितृ दोष ४ बड़े बूढ़े का सम्मान नही करना ४ संस्कारों का अभाव ५. स्वार्थ सिद्धि, लोभ लालच, ६. परदर्षिता का अभाव। संसार में हर कोई श्रेष्ठ होना चाहते हैं लेकिन ये खुद नही बोला जाता। अपनी श्रेष्ठता दुसरो पर प्रदर्शन करना नुक्सानदेह हो सकता हैं। मनुष्य योनि में ही स्वतंत्र रूप से कर्म किये जा सकते हैं परंतु फल पे अधिकार नहीं। घरों में झगड़ो का बाहरी कारण बड़े बूढ़े का अपमान, स्वार्थ, लोभ इर्ष्या है। जहाँ ऐसे लोग रहते होंगे जो अपने भाई पड़ोसी या रिश्तेदारों की उन्नति से जलते हो तो वहाँ आशांति होगी ही। अधिकांशतः पारिवारिक कलह से उत्पन्न कष्ट, दुःख, निराशा, जो अनुभव होता है उसका कारण भागवत विमुखता होता है। या हमारे खराब कर्म क्युकी कर्म मानव से छिपता हैं ईश्वर से नही। बाकी किरदार तो मात्र किरदार है। संतोषम परम सुखम।मात्र कठपुतली। वही पे उसी घर में खुश, सुखी, हँसी शांति का भी मूल कारण आपके कर्म ही है। और भाग्य कर्म पे निर्धारित होता है। स्वार्थ वश, प्रेम वश, लोभ वश कभी भी गलत मानसिकता वाले लोग का साथ नही दे क्युकी कर्म किसी को नही छोड़ता और कभी नहीं छोड़ता। पूजा करो दान करो क्युकी ईश्वर खुश होगा कैसे उसके बंदे के आत्मा को तुम क्लेश पहुचाते हो। कर्म से डरो। परिवार को समझो। स्वार्थ लोभ लालच इर्ष्या का त्याग करो। ना अपना देंगे ना दूसरे का लेंगे। आपस में मिलजुलकर रहे। झगडा हमेशा विनाश की ओर ले जाती हैं। जब गुस्सा आये तो एक दो दिन रुके सोचे समझे। गुस्सा मे किया कार्य तबाही ही लाती हैं। और जब आप किसी को नुकसान दोगे तो आपको भी तैयार रहना चाहिए। इस लिए अभिभावक का सम्मान करे हमेशा।आपकी सफलता आपके मेहनत, कर्म, संस्कार और कुछ पूर्व जन्म की कमाई पर निर्भर है। जैसे फूल को खिलने से सूरज को उदय होने से कोई नहीं रोक सकता। वैसे ही आपको भी सफल होने, अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता। बस तु कर्म सही करता चल और ईश्वर पे विश्वास रख।
आप समस्त पाठकों का मेरे के queenraj blogger (qrb) चैनल पर हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
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