जिंदगी में तनाव बचपन से ही आ जाती है। लेकिन जवानी में हम इसके मजे लेते हैं, क्युकी समझने में देर लगती हैं की सही मे तनाव ही है। नौकरी नहीं लगने पर रोजगार की चिंता रोटी कपड़ा मकान की चिंता। बच्चे की चिंता। वैसे ही जैसे शादी नही होने पर शादी करने की चिंता। जैसे मान लिया की कोई नौजवान लड़का नौकरी जॉइन किया शुरुआत मे मन लगाकर काम करता है मेहनत भी। सिर्फ अपने काम से काम। फिर वही लड़का जिसकी बात माने उसके लिए ठीक जिसकी नही उसे तनाव। वो भी बेवजह। कई जगह तो झूठ फरेब बोलके भी एक दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। सच्ची बात को भी तोड़ मरोड़ के गलत तरीके से किसी के सामने प्रस्तुत किया जाता हैं। जिनसे शिकायत या चुगली कर रहे होते हैं। उनको इन सब चीजों से कोई खास मतलब नहीं होता इस कारण वो इसपे बिना जांचे सोचे विश्वास करके अपनी प्रतिक्रिया दे देते हैं। किसी के झांसे मे आ जाते है। क्युकी चुगली करने वाले ये बखूबी जानते है कि क्या और कैसे बोले की क्या करे की लोग विश्वास कर ले उसकी बातो पर। लेकिन आप ये भी तो सोचो की जो चुगली कर रहे हैं आखिर उनको दिक्कत क्या हुआ। उसकी मांगे जायज़् है भी की नही। क्युकी ऐसे लोग अपनी कमी छिपा लेते हैं। जैसे बंद कमरे में गूंगे लोग को प्रताड़ित करो और बाहर आके वही गूंगा लोग अपनी दुःख सुनाए तो धुरंधर लोग उसको गूंगे को उल्टा आरोप लगा कर उसके बोली को चुप करवा देते हैं। वो अपना दुःख बया कर रहा हो तो दूसरे लोग उसको गलत अर्थ दिखाने की कोशिश करते हैं। तो सोचो ये कैसा तनाव है। लेकिन खुद पे और ईश्वर पे भरोसा रखो। शेष अगले पार्ट 3 मे 🙏🌷
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें