प्रेम भाव का सौदा नहीं,दूसरों के लिए समर्पण है।स्वार्थ यहाँ कुछ नहीं करता,बस दिल से दूसरों को प्यार है।प्रेम समर्पण और विश्वास दो आदर्श गुण हैं जो संबंधों को स्थायी और समृद्ध बनाते हैं। प्रेम समर्पण का मतलब होता है दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित करना और विश्वास संबंधों में आपसी विश्वास एवं आपके कार्यों के लिए सम्पूर्ण विश्वास होना।आधुनिक समय में प्रेम और समर्पण के उदाहरण
सोमवार, 29 अगस्त 2022
प्रेम समर्पण है विश्वास है
प्रेम भाव का सौदा नहीं,दूसरों के लिए समर्पण है।स्वार्थ यहाँ कुछ नहीं करता,बस दिल से दूसरों को प्यार है।प्रेम समर्पण और विश्वास दो आदर्श गुण हैं जो संबंधों को स्थायी और समृद्ध बनाते हैं। प्रेम समर्पण का मतलब होता है दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित करना और विश्वास संबंधों में आपसी विश्वास एवं आपके कार्यों के लिए सम्पूर्ण विश्वास होना।आधुनिक समय में प्रेम और समर्पण के उदाहरण
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रविवार, 28 अगस्त 2022
😄😂खुशी 😄😍
Happy खुशी खुशी आखिर है क्या
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शनिवार, 27 अगस्त 2022
Work is worship
कर्म
जैसे हज़ारों गाय मे बछडा अपनी माँ को ढूंढ लेता है वैसे ही कर्म कर्ता को ढूंढ ही लेता है। आप क्या अनुभव करते हो जब कोई पूजा अनुष्ठान करते हो तो मानो आपको ईश्वर की अनुभुती हो रही हो। अच्छी बात है पूजा अनुष्ठान सार्थक हुआ। लेकिन झूठ बोलते समय किसी के साथ बैमानी करते समय किसी का अपमान करते समय अपने स्वार्थ के लिए दूसरे को दुःख देते समय उचित कार्य नही करते समय क्या सोचते और अनुभव करते हो आप शांति से विचार करना। क्या इस समय में ईश्वर अपनी आँखे बंद कर लेते हैं।।कदआपी नही ईश्वर तो सब जगह है सब कुछ देखता है।
कर्म करो फल की आशा
इस कथन का मूल्य व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में बहुत उच्च है। इसे अपनाने से आप अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें बेहतर तरीके से कर सकते हैं। यह आपको सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आपको अपने आप में संतोष और शांति लाने में भी मदद करता है।
इस कथन का अनुसरण करने से, आप अपनी उत्पादकता में सुधार करते हुए अपने कार्यों में निष्ठापूर्वक लग जाते हैं और फल अपने आप ही आपके पास आता है। इसके अलावा, यह आपको सफलता के बारे में निरंतर चिंता करने की आवश्यकता से दूर रखता है जो कि एक अधिक तनावपूर्ण जीवन का कारण बनता है।
जीवन में कर्म
कर्म एक सिद्धांत है जो कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। कर्म अनुसार, हम अपनी जीवन पथ पर चलते हुए अपने कर्मों के अनुसार अपना भविष्य निर्माण करते हैं। जो भी हम करते हैं, उसके बदले में हमें उससे संबंधित फल मिलता है। यह सिद्धांत हमें यह भी समझाता है कि जीवन में सफलता अथवा असफलता का ज़िम्मेदार हम खुद होते हैं।
इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक कर्म करने की जरूरत होती है और दूसरों के लिए मदद करने में संतुलित होना चाहिए।
"कर्म ही जीवन का आधार है।" - महात्मा गांधी
"कर्म करो, फल की चिंता मत करो।" - भगवद गीता
"कर्म ज्योति नहीं होता, कर्म हमेशा उजाला देता है।" - स्वामी विवेकानंद
"कर्म का फल नहीं, कर्म करने का तरीका महत्वपूर्ण है।" - स्वामी दयानंद सरस्वती
"कर्म करने से न केवल आप अपने भाग्य को बदलते हैं, बल्कि आप उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल भी बन जाते हैं जो आपकी देखरेख में होते हैं।" - अब्दुल कलाम "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥"disclaimer-- उपरोक्त blog&content कुछ अपने अनुभव पे आधारित तथा कुछ अन्य माध्यमो से संकलित है।
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गांव की 🪔🎇 दिवाली
मैं एक मध्यम परिवार से हूं। शुरुआती जीवन ग्रामीण और संयुक्त परिवार में हुआ था। ग्रामीण माहौल ग्रामीण मौसम के साथ पल बढ़ कर आज शह...
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