सोमवार, 29 अगस्त 2022

प्रेम समर्पण है विश्वास है

प्रेम भाव का सौदा नहीं,दूसरों के लिए समर्पण है।स्वार्थ यहाँ कुछ नहीं करता,बस दिल से दूसरों को प्यार है।प्रेम समर्पण और विश्वास दो आदर्श गुण हैं जो संबंधों को स्थायी और समृद्ध बनाते हैं। प्रेम समर्पण का मतलब होता है दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित करना और विश्वास संबंधों में आपसी विश्वास एवं आपके कार्यों के लिए सम्पूर्ण विश्वास होना।आधुनिक समय में प्रेम और समर्पण के उदाहरण
 आजकल के समय में प्यार का मतलब बदल गया है। प्यार अधिकांशतः दबाओ मे तब्दील हो रहा है। या फिर स्वार्थ ने प्यार को भी बदनाम कर दिया है।  ऐसे तो प्यार कई तरह के होते हैं लेकिन सबका अपना अलग स्थान है।माँ बेटा/ बेटी।पिता पुत्री।भाई बहन।ये सब तो पारिवारिक दायरे मे आते हैं।लेकिन आज कल जो प्यार का ट्रेंड और फैशन चल रहा है जो ज्यादा सुर्खियो मे रहता है 👫👫 वो है collage ❤love.आप कुछ उदाहरण से समझो माना कि आप ने flower garden मे बहुत सुंदर और मनमोहक पौधा और फुल के पौधा लगाए। उसकी आप देखभाल कर रहे हो खाद पानी मिट्टी कुडाइ समय से कर रहे हो और एक दिन उस पौधे में फूल खिला और वो बहुत सुंदर लग रहा है। आप क्या उस फूल को तोड़ोगे क्युकी आपको उस से प्यार है आपको बहुत सुंदर लगता है वाकई है भी। लेकिन जो प्रेम को समझते हैं वो कभी भी उस फूल को नही तोड़ेंगे।क्युकी आप अगर उसको तोड़ लिए तो फूल मुरझा जायेगा।  खूबसूरती नही रहेगी। जो सच्चा प्रेमी कभी नहीं चाहेगा। मतलब साफ है प्यार एक दूसरे के लिए जीना उसकी कद्र करना उसको समझना और सबसे अहम बात एक दूसरे की खुशी में खुश रहना ही प्यार है। प्यार मे स्वार्थ, के लिए कोई जगह नहीं है। अगर आप किसी लड़की से प्रेम करते हो तो उसके भावना को समझना होगा उसका विश्वास जितना होगा। उसको इज़्ज़त देनी होगी। वो भी निस्वार्थ भाव से। पहले उसको समझो। अगर वो नही चाहती तो आप कोई दबाओ मत बनाओ कोई ज़िद नही करो। क्युकी हो सकता हैं वो ये सब मे नही पड़ना चाहती हो। क्युकी प्यार किसी भी कीमत पर जबरदस्ती नहीं किया जाता हैं। जितना है तो विश्वास और दिल जीतो न यार।। आज के लिए इतना ही सफरनामा ये भी पढ़े। 
उपर के फोटो से आप ये अनुभव कर सकते हो की बचपन से बुढ़ापा तक कितने किरदार निभाने पड़ते हैं। समय के साथ चेहरे पे झुर्रियाँ पडती जाती है। तो घमंड किस बात की। क्युकी कुछ भी कर लो बुढ़ापा और चेहरे पे झुर्रियाँ समय पर ही आयेंगे और यही हकीकत है।  
Disclaimer-- उपरोक्त जानकारी विभिन्न माध्यमो से संकलित और कुछ व्यक्तिगत अनुभव है। Only for read, like & share, 

रविवार, 28 अगस्त 2022

😄😂खुशी 😄😍

      Happy खुशी खुशी आखिर है क्या

खुशी क्या होती है सही मायने में खुशी दुसरो की खुशी में तलाशें। सचमुच अद्भुत  अनुभव और संतुष्टी मिलेगी। कभी भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पिलाए। आपने देखा होगा मेले में बच्चों को गुब्बारा बेचते हुए। वो अपने परिवार के पालन पोषण के लिए रात भर जग कर गुब्बारा बेचते हैं उस कमाई से दो वक़्त की रोटी जुटाते है बिक्री अच्छी हुई तो खुश होते है वही पे कुछ बच्चे अपने माता पिता के साथ मेला घूमने आते हैं। और गुब्बारा के लिए ज़िद करते हैं दोनों तरफ बच्चे एक बिक्रेता दूसरा खरीददार खैर हटाओ ये बात अब जब गुब्बारा बिका तो खुशी दोनों को हुई साथ मे माता पिता भी खुश। यही है दूसरे की खुशी में अपनी खुशी तलाशना। आज मै अपना घर साफ सफाई कर रहे थे प्लास्टिक लोहा वगेरह् कचरा जमा हो गया तभी बाहर मैने एक छोटे बच्चे को देखा जो कचरा चुन बिन रहा था। मैंने उसको बुलाया सारा कचरा और लोहा दे दिया बिना पैसा लिए उपर से उसको कुछ रुपया भी दिया हमने बच्चे के पीठ पर कचरे की पोटरी नही परिवार की जिम्मेदारी देखा। मजबूरी देखी। सही किया गलत किया बेवकूफी की पता नही पर ऐसा करके मुझे खुशी मिली बहुत शुकुन मिला। आज के लिए इतना ही। आपका ऋतुराज।।। unique onlinefree game

शनिवार, 27 अगस्त 2022

Work is worship

              कर्म

जैसे हज़ारों गाय मे बछडा अपनी माँ को ढूंढ लेता है वैसे ही कर्म कर्ता को ढूंढ ही लेता है। आप क्या अनुभव करते हो जब कोई पूजा अनुष्ठान करते हो तो मानो आपको ईश्वर की अनुभुती हो रही हो। अच्छी बात है पूजा अनुष्ठान सार्थक हुआ। लेकिन झूठ बोलते समय किसी के साथ बैमानी करते समय किसी का अपमान करते समय अपने स्वार्थ के लिए दूसरे को दुःख देते समय उचित कार्य नही करते समय क्या सोचते और अनुभव करते हो आप शांति से विचार करना। क्या इस समय में ईश्वर अपनी आँखे बंद कर लेते हैं।।कदआपी नही ईश्वर तो सब जगह है सब कुछ देखता है।


कर्म करो फल की आशा


यह कथन संस्कृत में "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" है। इसका अर्थ होता है कि आपके अधिकार केवल कर्म करने में हैं, फल की आशा किये बिना। इस कथन से समझाया जाता है कि आपको कर्म करने में जुटना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

इस कथन का मूल्य व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में बहुत उच्च है। इसे अपनाने से आप अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें बेहतर तरीके से कर सकते हैं। यह आपको सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आपको अपने आप में संतोष और शांति लाने में भी मदद करता है।

इस कथन का अनुसरण करने से, आप अपनी उत्पादकता में सुधार करते हुए अपने कार्यों में निष्ठापूर्वक लग जाते हैं और फल अपने आप ही आपके पास आता है। इसके अलावा, यह आपको सफलता के बारे में निरंतर चिंता करने की आवश्यकता से दूर रखता है जो कि एक अधिक तनावपूर्ण जीवन का कारण बनता है।

गलत समय आपके अंदर से आत्मा की आवाज़ आती हैं लेकिन लोभ इर्ष्या स्वार्थ के वशिभूत होके आप उसको नज़रंदाज़ कर देते हो। लेकिन ईश्वर कुछ भी नज़रंदाज़ नही करता है। लोहा को उसके खुद के जंग से नष्ट होना पड़ता है। वैसे ही आपके पतन , समस्या, दबाओ, बीमारी खुद आपके वज़ह से होती है। प्रकृति का नियम है जो रोपोगे वही पाओगे। आम के बदले आम। बबूल के बदले बबूल। करना क्या है पाना क्या है खोना क्या है सब आप पे निर्भर करता है। 🙏🙏


जीवन में कर्म

जीवन में कर्म एक बहुत महत्वपूर्ण अवधारणा है जो हमारे दिनचर्या, सोच और भावनाओं को निर्दिष्ट करती है। कर्म हमारी चेतना और आचरण को निर्दिष्ट करता है और हमें उस दिशा में ले जाता है जो हमारे जीवन के उद्देश्य तथा आशाओं के साथ मेल खाती है।

कर्म एक सिद्धांत है जो कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। कर्म अनुसार, हम अपनी जीवन पथ पर चलते हुए अपने कर्मों के अनुसार अपना भविष्य निर्माण करते हैं। जो भी हम करते हैं, उसके बदले में हमें उससे संबंधित फल मिलता है। यह सिद्धांत हमें यह भी समझाता है कि जीवन में सफलता अथवा असफलता का ज़िम्मेदार हम खुद होते हैं।

इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक कर्म करने की जरूरत होती है और दूसरों के लिए मदद करने में संतुलित होना चाहिए। 

  1. "कर्म ही जीवन का आधार है।" - महात्मा गांधी

  2. "कर्म करो, फल की चिंता मत करो।" - भगवद गीता

  3. "कर्म ज्योति नहीं होता, कर्म हमेशा उजाला देता है।" - स्वामी विवेकानंद

  4. "कर्म का फल नहीं, कर्म करने का तरीका महत्वपूर्ण है।" - स्वामी दयानंद सरस्वती

  5. "कर्म करने से न केवल आप अपने भाग्य को बदलते हैं, बल्कि आप उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल भी बन जाते हैं जो आपकी देखरेख में होते हैं।" - अब्दुल कलाम    "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥"disclaimer-- उपरोक्त blog&content कुछ अपने अनुभव पे आधारित तथा कुछ अन्य माध्यमो से संकलित है। 

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