मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

तिलडीहा शक्तिपीठ

                           तिलडीहा शक्तिपीठ               तिलडीहा शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। यहाँ आराध्य देवी माँ कृष्ण काली भगवती की पूजा होती हैं।विशेष रूप से शारदीय नवरात्र और वासंती नवरात्र में माता के दरबार में लाखों श्रधालु आते हैं। इस शक्तिपीठ के मुख्य पुजारी मेढपति कहलाते है। वर्तमान मे इस शक्तिपीठ के मेढ़पति हरवल्लव दास के वंशज है। यहाँ सप्ताह भर रोज़ श्रधालु आते हैं पूजा पाठ करते हैं। अपनी मुरादे माँगते हैं जो माता के आशीर्वाद से प्राप्त भी होता है। गच्छति कबूल के मुताबिक चढ़ावा चढ़ाते है कोई लड्डू, फल, चुनरी, कुछ लोग पाठा की बलि भी देतेहैं
पूजन विधि तिलडीहा शक्तिपीठ--यहाँ पूजा तांत्रिक और बंगाली विधि से होता है। यहाँ की खासियत यह है कि एक मेढ़ पर कृष्ण, काली, दुर्गा, महिषासुर, शिव पार्वती, गणेश जी, कार्तिक जी सहित तेरह मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। शायद इस लिए ये शक्तिपीठ तिलडीहा के नाम से विख्यात हो गया। प्रथम पूजा के दिन यहाँ 108 विल्वपत्र (बेल के पत्ते)  से पूजा की जाती है। पुनः दो कोहडे की बलि दी जाती है। चतुर्थ पूजा मे पान के पत्ते और केला के वृक्ष से पूजन होता है। उसके बाद सातवीं पूजा को मंडप पे माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया जाता है। यह पूजन हेतु रात्रि में पंडितजी और मेढ़पती द्वारा माँ के आँख की पुतली बनाई जाती हैं और रात्रि में ही मंदिर के मुख्य गेट पर दो काला पाठा रखा जाता हैं। जिससे कि सुबह पट खुलते ही सर्वप्रथम पाठा पर नज़र पड़े। यहाँ आज भी बलि प्रथा जागृत है। यहाँ अष्टमी और नवमी को बलि दी जाती है। 

तेलडीहा शक्तिपीठ की स्थापना
बंगाल के दो भाई जो भगवती के उपासक थे। उनमे एक हरवल्लव दास के द्वारा 1603 ई में बडुआ नदी के किनारे १०५ नरमुंड के उपर माता के मंदिर की स्थापना की गई। जहाँ पहले ये दोनों भाई हरवंशपुर के दक्षिणी भाग में शमशान हुआ करता था और ये लोग यही पे तांत्रिक विद्या से पूजा आहुति करते थे। इनके वंशज का आश्रय भी मंदिर प्रांगण मे ही है। 
मंदिर की बनावट
प्रारंभ में सिर्फ मंदिर था  वो भी पुरा कच्ची। समय के साथ विकाश कार्य होता चला गया। और आज चारो तरफ पक्की सड़क है। मंदिर भव्य है। सुंदर और आकर्षक घेराबंदी है। लेकिन एक सबसे खास बात की माता का गर्भ गृह/माता की पिंडी आज भी कच्ची ही है। मिट्टी की। लोगों की मान्यता है कि ये माता की इक्षा थी। और यही वजह से शायद आजतक कच्ची ही है। सेवा और भक्ति इसे भी देखें
तिलडीहा शक्तिपीठ कहाँ है
बाँका जिला के  शंभुगन्ज (shambhuganj)  प्रखंड में छत्रहार पंचायत के हरवंशपुर ग्राम में माँ दुर्गा का तिलडीहा शक्तिपीठ अवस्थित् है। जो बिहार में है। 
तिलडीहा शक्तिपीठ कैसे जाए (सफरनामा
1,, मुख्य रूप से दो रेलवे स्टेशन है पहला भागलपुर रेलवे स्टेशन यहाँ से सुलतानगंज फिर सुलतानगंज से तारापुर। यहाँ से महज  एक किलोमीटर की दूरी पर माता का शक्तिपीठ है। 2,, दूसरा जमालपुर रेलवे स्टेशन यहाँ से आप बरियारपुर से तारापुर। या जमालपुर से सुलतानगंज रेलवे स्टेशन से तारापुर। चुकी तारापुर बाजार में ही शक्तिपीठ तिलडीहा है। तारापुर मे रात्रि विश्राम भी किया जा सकता है। 
अन्य मान्यता (सुख दुःख और जिंदगी
ऐसे तो सभी दिन यहाँ पूजा पाठ होते रहता है। लेकिन सप्ताह में दो दिन विशेष रूप से पूजा का काफी महत्व है मंगलवार( tuesday) और शनिवार (saturday)  । नवरात्रि में तो पूजा होता ही है। लेकिन सावन के महीनों में भी भक्तजन सुलतानगंज से जल भरकर यहाँ इस शक्तिपीठ मे पूजा करते हैं। यहाँ सच्चे मन से माँगी गई मुरादे पूरी होती हैं। इस शक्तिपीठ के पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। 
इस शक्तिपीठ तिलडीहा शक्तिपीठ के आस पास के कुछ जिला और गाँव-/ जिला-- जमुई, मुंगेर, भागलपुर, बाँका,,, कुछ गाँव- कुर्माडीह, बंशीपुर, हरवंशपुर,
तिलडीहा शक्तिपीठ के भौगोलिक स्थिति- ये तारापुर बाजार से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के मुख्य गेट पर एक भव्य द्वार है। एक पुल है जो बडुआ नदी के उपर और शक्तिपीठ  के मुख्य द्वार पर है। ये शक्तिपीठ बडुआ नदी के किनारे है। जिसमे वर्ष भर पानी रहती है। मंदिर के चारो तरफ खेत खलिहान बड़े बड़े गाछ वृक्ष है। सावन मे यहाँ का प्राकृतिक दृश्य काफी मनोरम प्रतीत होता है। मंदिर प्रांगण मे एक कुआँ है। मान्यता है कि पहले इसके जल से हाथ पैर धो लिया जाता है। शारदीय नवरात्र में यहाँ बहुत बड़ा मेले का आयोजन होता है। लाखों की संख्या में भक्तजन आते हैं और हज़ारों की संख्या में पाठा की बलि होती है। संयुक्त परिवार और नज़रिया
कुछ सुनहरे यादें-- बचपन में कई बार इस शक्तिपीठ मे माता के दर्शन और पूजा पाठ को गया हूँ। हमे बहुत ज्यादा आस्था और श्रधा है। पहाड़पुर से हवेली खड़गपुर होते हुए लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर तारापुर मे ये शक्तिपीठ पीठ है। पास होने के कारण अक्सर जाता हूँ। 
Disclaimer-- उपर की जानकारी विभिन्न माध्यमो से संकलित है। कुछ खुद का अनुभव है। उम्मीद है पसंद आया होगा। 🙏queenrajthoughthindi.blogspot.com
Special request please read & forward. 

कोई टिप्पणी नहीं:

represented by qrb

indian environment

     indian environment & awesome pic Protecting the environment is essential for our survival. We must reduce our carbon footprint by u...